एटसैल्सबाख में आयोजित संध्या वंदना प्रार्थना के समय संत पापा का संदेश
एटसैल्सबाख, जर्मनी 24 सितम्बर 2011 (सेदोक) जर्मनी के एटसैल्सबाख स्थित मरिया तीर्थालय
में 23 सितम्बर को आयोजित संध्या वंदना प्रार्थना के अवसर पर उपस्थित विश्वासियों को
सम्बोधित करते हुए संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कहा- मैं अब समर्थ हूँ कि एक्सफील्ड
के दर्शन करने की इच्छा पूरी करूँ और यहाँ एटसैल्सबाख में आपकी उपस्थिति में माता मरिया
को धन्यवाद दूँ। मरिया हमें सुरक्षा और नयी शक्ति प्रदान करती हैं। दो तानाशाही शासनकाल
के दौरान जिसने पूर्वजों से मिले विश्वास से लोगों को वंचित करना चाहा एटसैल्सबाख के
निवासियों को संदेह नहीं था उन्होंने यहाँ एटसैल्सबाख तीर्थालय में खुला द्वार और आंतरिक
शांति का स्थल पाया। इसी से मरियम के साथ विशेष मैत्री का विकास हुआ जिसे धन्य कुँवारी
मरिया की इस संध्या वंदना प्रार्थना के साथ ही हम बढ़ाना चाहते हैं।
संत पापा
ने कहा कि सब युगों और कालों के ख्रीस्तीय जब मरियम की ओर मुखातिब होते हैं तो वे इस
स्वःस्फूर्त दृढ़ मान्यता से उत्प्रेरित होकर करते हैं कि माता जो माँगती है उसे देने
से येसु इंकार नहीं कर सकते हैं और वे इस स्थिर भरोसा पर दृढ़ हैं कि मरियम हमारी भी
माँ हैं। माँ जिन्होंने सबसे अधिक कष्टदायी दुःखों और पीड़ाओं को झेला है जो हमारी पीड़ाओं
को हमारे साथ महसूस करती हैं तथा उनपर विजय पाने के लिए ममतापूर्ण नजरिये से विचार करती
है। सदियों से अनेक तीर्थयात्रियों ने मरियम तीर्थालय की भेंट की है ताकि यहाँ एटसैल्सबाख
में दुःखों की माँ की प्रतिमा के सामने सांत्वना और शक्ति पा सकें।
संत पापा
ने कहा कि मरिया की भक्ति माँ और उनके दिव्य पुत्र के मध्य संबंध पर चिंतन करने पर केन्द्रित
है। विश्वासी जन निरंतर नये पहलू और गुणों की खोज करते हैं जो यह रहस्य हमारे सामने प्रकट
करने के लिए मदद कर सकता है। उदाहरण के लिए जब मरिया के निष्कलंक ह्दय की तस्वीर को देखते
हैं तो यह ख्रीस्त के साथ उनकी गहन तथा प्रेमपूर्ण एकता का प्रतीक है। मरियम के साथ,
ईश्वर ने हर चीज में भलाई के लिए काम किया है और वे रूके नहीं हैं लेकिन मरियम के द्वारा
भलाई करना और संसार में इनका विस्तार करना जारी ऱखा है।
संत पापा ने कहा कि कृपा
और मुक्ति के सिंहासन क्रूस से नीचे देखते हुए येसु ने अपनी माता को हमारी माता बनने
के लिए दे दिया। क्रूस के नीचे मरिया, जीवन यात्रा में हमारी सहयात्री और संरक्षिका बन
गयी। हम जीवन के उतार-चढ़ाव से पार होते हैं लेकिन मरिया अपने पुत्र से हमारे लिए मध्यस्थता
करती हैं तथा हमें दिव्य प्रेम की शक्ति को देती हैं। वे हमारी सहायता करना चाहती हैं
कि हम अपने मसीही बुलाहट की गहराई और चौड़ाई को समझें। माँ की ममता सहित वे चाहती हैं
कि हम यह समझें कि हमारा सम्पूर्ण जीवन दयालु ईश्वर के प्रेम के प्रति जवाब हो। जहाँ
ईश्वर हैं वहाँ भविष्य है वस्तुतः जब हम अपने सम्पूर्ण जीवन को ईश्वर के प्रेम से प्रभावित
होने की अनुमति देते हैं तब स्वर्ग हमारे लिए खुल जाता है। तब यह संभव है कि हम अपने
वर्तमान को आकार प्रदान करें जो हमारे प्रभु येसु ख्रीस्त के सुसमाचार के समरूप अधिक
से अधिक बनता जाता है। तब दैनिक जीवन की छोटी चीजें भी अर्थ पाती हैं और महान समस्याओं
का समाधान होता है।