देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा द्वारा दिया गया संदेश
कास्तेल गांदोल्फो, रोम 19 सितम्बर 2011 (ज़ेनित) संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार
18 सितम्बर को कास्तेल गांदोल्फो स्थित प्रेरितिक प्रासाद के भीतरी प्रांगण में देश विदेश
से आये तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के साथ देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया। उन्होंने
रविवारीय परम्परा के अनुसार देवदूत संदेश प्रार्थना के पाठ से पूर्व इताली भाषा में तीर्थयात्रियों
को सम्बोधित करते हुए कहाः
अतिप्रिय भाईयो और बहनो,
आज की पूजनधर्मविधि
में हम फिलिप्पयों के नाम प्रेरित संत पौलुस के पत्र के आरम्भिक भाग को सुनते हैं अर्थात
उस समुदाय के सदस्यों को सम्बोधित पत्र जिसकी स्थापना प्रेरित पौलुस ने फिलिप्पी में
स्वयं की थी जो मसेडोनिया में महत्वपूर्ण रोमन कालोनी था और जो अब उत्तरी यूनान है। अपनी
दूसरी प्रेरितिक यात्रा के समय प्रेरित संत पौलुस फिलिप्पी पहुँचे थे। यह यूरोप में सुसमाचार
का पहला प्रवेश था। हम सन 50 के समीप हैं, येसु की मृत्यु और पुनरूत्थान के लगभग 20 वर्ष
बाद का समय, फिलिप्पियों के नाम पत्र में ख्रीस्त को समर्पित भजन है जो उनके रहस्य के
संश्लेषण को प्रस्तुत करता है- देहधारण, केनोसिस अर्थात् क्रूस पर मरने तक अपमान और महिमान्वित
होना।
यह रहस्य स्वयं प्रेरित पौलुस के जीवन के साथ एक बन गया। उन्होंने इस पत्र
को उस समय लिखा जब वे बंदी थे और देड के रूप में कारावास या मृत्यु की प्रतीक्षा कर रहे
थे। वे लिखते हैं- मेरे लिए तो जीवन है – मसीह और मृत्यु है उनकी पूर्ण प्राप्ति। यह
जीवन और मानवीय अस्तित्व का नया भाव है जो येसु ख्रीस्त में जीवन जीवन जीने से संयुक्त
जीवन जीना है न केवल ऐतिहासिक व्यक्ति, प्रज्ञावान गुरु, धार्मिक नेता लेकिन एक व्यक्ति
जिसमें ईश्वर व्यक्तिगत रूप से निवास करते हैं। उनकी मृत्यु और पुनरूत्थान सुसमाचार है
जो येरूसालेम से आरम्भ होकर सब लोगों और सब राष्ट्रों तक पहुँचेगा और सब संस्कृतियों
को अंदर से पूरी तरह बदल देगा, उन्हें मौलिक सत्य के लिए खोलेगा- ईश्वर प्रेम है, वह
येसु में मानव बने तथा अपने बलिदान द्वारा मानवजाति को बुराई की दासता से मुक्त किये।
इसे भरोसापूर्ण आशा प्रदान किये। प्रेरित संत पौलुस वे व्यक्ति थे जो तीन जगत् अर्थात
यहूदी, यूनानी और रोमी संसार को एक साथ लाये। यह संयोग या भाग्यवश नहीं था कि ईश्वर
ने उसे एशिया माईनर से यूनान और रोम तक सुसमाचार लाने का मिशन सौंपा था लेकिन सेतु बनाया
जो ईसाईयत को संसार के कोने कोने तक ले गया।
आज हम नये सुसमाचार प्रचार के युग
में जीवन जी रहे हैं। व्यापक क्षितिज हमारे सामने सुसमाचार को खोलते हैं जबकि प्राचीन
ईसाई परम्परावाले क्षेत्रों का आह्वान किया जाता है कि वे विश्वास के सौंदर्य की पुर्नखोज
करें। इस मिशन के कार्यकर्त्ता उन नर-नारियों के समान हैं जो प्रेरित संत पौलुस के समान
कह सकें- मेरे लिए तो जीवन ख्रीस्त हैं--- व्यक्ति, परिवार, समुदाय जो इस रविवार के सुसमाचार
पाठ की छवि के अनुसार प्रभु की दाखबारी में काम करने का निर्णय लेते हैं। विनम्र और
उदार श्रमिक, जो येसु और कलीसिया के मिशन में सहभागी होने के लिए किसी प्रकार का पारिश्रमिक
या इनाम नहीं चाहते हैं। संत पौलुस आगे लिखते हैं- यदि मैं जीवित रहूँ तो सफल परिश्रम
कर सकता हूँ इसलिए मैं नहीं समझ पाता हूँ कि क्या चुनूँ। मैं तो चल देना और मसीह के साथ
रहना चाहता हूँ जो मृत्यु या इस पृथ्वी पर उनके रहस्यमय शरीर की सेवा से परे हो।
प्रिय
मित्रो, सुसमाचार ने विश्व को पूर्ण रूप से बदला है और इसे अब भी बदल रहा है, नदी के
समान जो बड़े खेत को सिंचती है। हम प्रार्थना में कुँवारी माता मरियम की ओर मुखातिब हों
ताकि सम्पूर्ण कलीसिया में नये सुसमाचार प्रचार की सेवा में पौरोहितिक, धर्मसमाजी और
लोकधर्मी बुलाहटों की वृद्धि हो और फल लायें।
इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत
संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।