रोम, 17 सितंबर, 2011 (ज़ेनित) ईराक के इरबिल महाधर्माध्यक्ष बशार वारदा और मोसुल के
धर्माध्यक्ष अमिल नोना ने कौंसिल ऑफ यूरोप के अध्यक्ष से मुलाक़ात कर इस बात की जानकारी
दी कि ईराक में धार्मिक स्वतंत्रता जैसी कोई चीज़ नहीं रह गयी है।
‘चर्च इन
नीड’ ने इस बात की जानकारी देते हुए बताया कि दोनों धर्माध्यक्षों ने यूरीपीय कौंसिल
के अध्यक्ष हेरमन वैन रोमपई से मंगलवार 13 सितंबर को भेंट की और उन्हें देश में ईसाइयों
की स्थिति के बारे अवगत कराया।
दोनों कालडियन धर्माध्यक्षों ने इस बात पर बल
दिया कि ईसाइयों के लिये स्कूल खोले जाने की आवश्यकता ताकि कलीसिया द्वारा संचालित स्कूलों
से पूरे ईराक के नागरिक लाभान्वित हो सकें।
महाधर्माध्यक्ष वारदा का मानना है
कि " शिक्षा के द्वारा एक नयी संस्कृति के पनपने के साथ-साथ धार्मिक स्वतंत्रता भी बढ़ेगी
जो युवा पीढ़ी को एक नयी दिशा देगी। " ब्रसेल्स में आयोजित इस मुलाक़ात का आयोजन चर्च
इन नीड ने किया था जो 30 मिनटों तक चला।
यूरोपीय कौंसिल के अध्यक्ष हेरमन ने
इस वार्ता के दौरान ईराक की वास्तविक स्थिति और महिलाओं के अधिकारों के हनन संबंधी बातों
में अपनी रुचि दिखलायी और उन्हें मदद का आश्वासन दिया।
दोनो धर्माध्यक्षों ने
ईराकी संविधान की धारा 3 के संदर्भ में मानवीय अधिकारों के हनन संबंधी बातों पर अपनी
चिंता जतायी।
ज्ञात हो धारा 3 शरियत कानून की प्रमुखता का समर्थन करती है।