कानपुर 16 सितम्बर 2011 (काथलिक न्यूज) द्वितीय वाटिकन महासभा की शिक्षा के आलोक में
कलीसिया तथा समाज में लोकधर्मियों की भूमिका पर लिखित एक पुस्तक का लोकार्पण आल इंडिया
काथलिक यूनियन एआईसीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रेमी डेनिस के द्वारा कानपुर में 11 सितम्बर
को किया गया। पुस्तक का शीर्षक है एन अनफिनिशड सिम्फनी जिसके लेखक हैं एआईसीयू के भूतपूर्व
अध्यक्ष छोटेभाई। पुस्तक में पाँच खंड हैं। पहले खंड में कलीसिया और समाज के भविष्य के
बारे में कहा गया है कि इसे कैसी होनी चाहिए। दूसरे खंड में पवित्र धर्मशास्त्र तथा द्वितीय
वाटिकन महासभा के आलोक में विभिन्न ख्रीस्तीय मुद्दों पर प्रकाश डाला गया है। इस खंड
में कलीसिया की संरचना, लोकधर्मियों की सहभागिता, परिवार नियोजन, तलाक तथा काम या श्रम
की मर्यादा पर भी चर्चा की गयी है। तीसरे खंड में अन्ना हजारे के अभियान सहित आत्महत्या,
समलैंगिकता, व्याभिचार जैसे ज्वलंत समसामयिक मुददों पर चिंतन प्रस्तुत किया गया है। स्टीफन
हाउकिंगस की ब्रहमांड की उत्तप्ति संबंधी दावा और द विंची कोड के भ्रमित करते फरेब पर
भी टिप्पणी की गयी है। पुस्तक के चौथे खंड में मदर तेरेसा के कार्यों की सराहना की गयी
है तथा पाँचवे खंड में सुसमाचार प्रचार, शिक्षा, पल्ली समिति और काथलिक एसोसियेशन जैसे
अनेक मुददों पर विचार व्यक्त किये गये हैं। पुस्तक के अंत में भारत में ईसाईयों की छवि
पर एक व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। पुस्तक का लोकार्पण करते हुए श्री
डेनिस ने कहा कि आज द्वितीय वाटिकन महासभा या कलीसियाई विधान (कैनन ला) के बारे में बहुत
कम या नहीं के बराबर जागरूकता है। भारत में केवल 4 या 5 लोकधर्मी व्यक्ति इन क्षेत्रों
में गहन जानकारी रखते हैं और उन्में छोटेभाई एक हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षित करने तथा
समाज और कलीसिया में अपनी भूमिका के बारे में लोकधर्मियों को जागरूक करने में यह पुस्तक
बहुत सहायक सिद्ध होगी। कानपुर स्थित संत पैट्रिक चर्च के पल्ली पुरोहित फादर अपोलिन
लोबो ने पुस्तक को आशीष देते हुए कहा कि इस प्रकार के काम को निजी रूप से पढ़ना तथा इस
पर समूह में चिंतन करना चाहिए। पुस्तक के बारे में छोटेभाई ने कहा कि यह पुस्तक विगत
वर्षों में लिखे गये उनके विभिन्न लेखों का संग्रह है। जब इन लेखों को एक साथ मिलाकर
रखा गया है तो उनकी आशा है कि ये विचारों की स्वरसंगति को प्रस्तुत करेंगे। एआईसीयू के
भूतपूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष जोर्ज मेनेजेस ने पुस्तक की प्रस्तावना लिखी है। उन्होंने
इस पुस्तक को कलीसिया के लोगों के लिए पूर्णतः नया और साहसी धर्मशिक्षा बताया। छोटेभाई
के लेख साहस और सत्यनिष्ठा से भरे हैं तथा एक नये पथ में चलने की इच्छा को व्यक्त करते
हैं।