2011-09-13 12:23:22

नई दिल्लीः भारतीय संसद ने साम्प्रदायिक हिंसा विधेयक पर लगाई रोक


नई दिल्ली, 13 सितम्बर सन् 2011 (एशिया न्यूज़): यूनाईटेड प्रोग्रेसिव अलाएन्स के नेतृत्व वाली सरकार की सदस्य पार्टी तृणामूल काँग्रेस भी, साम्प्रदायिक हिंसा विधेयक के विरोध में, भारतीय जनता पार्टी, जनता दल तथा शिरोमणि अकाली दल के साथ हो गई है। इस विधेयक का प्रारूप सोनिया गाँधी के नेतृत्व में राष्ट्रीय सलाहकार समिति एन.ए.सी. द्वारा तैयार किया गया था।

सत्तारूढ़ यूपीए की सदस्य तृणामूल काँग्रेस विपक्षी दलों के साथ मिलकर इस विधेयक का इसलिये विरोध कर रही है कि इसके प्रभावी होने से केन्द्रीय सरकार को राज्य सरकारों में हस्तक्षेप की छूट मिलेगी।

ग़ौरतलब है कि सन् 2003 में गुजरात में हुए साम्प्रदायिक दंगों तथा सन् 2008 में उड़ीसा में ख्रीस्तीयों के नरसंहार के बाद उक्त विधेयक का प्रारूप तैयार किया गया था।

गुजरात में येसु धर्म समाज द्वारा संचालित मानवाधिकार केन्द्र "प्रशान्त" के निर्देशक फादर सेडरिक प्रकाश ने विधेयक के बारे में कहा, "यह महत्वपूर्ण है कि केन्द्रीय सरकार के पास देश में व्याप्त हिंसा को नियंत्रण में रखने की शक्ति हो।"

तथापि उन्होंने कहा, "विधेयक में बहुत खामियाँ हैं, इसलिये कई मानवाधिकार कार्यकर्त्ता भी इसका विरोध कर रहे हैं।"

उन्होंने कहा कि विधेयक के तहत धार्मिक अल्पसंख्यकों, आदिवासियों तथा कुछ जातियों पर ही अल्पसंख्यक स्थिति लागू होगी तथा हिन्दु धर्म के बहुसंख्यक इससे वंचित ही रहेंगे। ऐसी स्थिति में, उन्होंने कहा, जम्मू एवं काश्मीर के लोगों का क्या होगा?








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