अंकोना, इटली, 12 सितंबर, 2011(ज़ेनित) संत पापा ने कहा है कि " एक व्यक्ति जो यूखरिस्तीय
संस्कार में घुटने टेकता और येसु को ग्रहण करता है उसे चाहिये कि वह अपने ज़रूरतमंद पड़ोसी
की मदद करे तथा अपना जीवन को दूसरों को देने के लिये तत्पर रहे।"
संत पापा ने
उक्त बातें उस समय कहीं जब उन्हें अंकोना में आयोजित 25वें राष्ट्रीय यूख्ररिस्तीय काँग्रेस
के समापन पर आयोजित समारोही मिस्सा में लोगों को प्रवचन दिया।
उन्होंने कहा,
" यूखरिस्त की आध्यात्मिकता दैनिक जीवन में व्याप्त व्यक्तिवाद और अहंकार का वास्तविक
इलाज़ है।"
उनका मानना है कि " यूखरिस्तीय संस्कार के प्रभाव से सामुदायिक जीवन
में दायित्व की भावना से इस तरह से प्रस्फुटित हो कि ग़रीब, बीमार और ज़रूरतमंद सामाजिक
विकास के केन्द्रबिन्दु बनें।"
" अगर हम येसु ख्रीस्त से परिपोषित होते हैं तो
हम अपने पड़ोसी के जीवन के प्रति तटस्थ या अजनबी कदापि नहीं रह सकते, ,ठीक इसके विपरीत
हम उनके लिये प्रेमोपहार बन जायेंगे। "
संत पापा ने कहा " जो यूखरिस्तीय समारोह
में हिस्सा लेता है वह आम लोगों के जीवन को ध्यान दिये बग़ैर नहीं रह सकता, न ही ऐसी
परिस्थितियों की अनदेखी कर सकता है जो मानवीय न हो, ठीक इसके विपरीत वह ज़रूरतमंदों की
मदद के लिये सामने आयेगा, उनकी भूख मिटायेगा, प्यासों की प्यास बुझायेगा, निर्वस्त्रों
को वस्त्र और बंदीगृह एवं बीमार पड़े लोगों से मिलने जायेगा।"
संत पापा ने कहा
कि " यूखरिस्त की आध्यात्मिकता व्यक्तिवादी बीमारी की दवा है जो आपसी रिश्ते को मजबूत
करता है और इसकी शुरूआत परिवार से करता है।" बेरोजगारी की समस्या की ओर इंगित करते
हुए संत पापा ने कहा, " यूखरिस्त की आध्यात्मिकता मानव की मर्यादा और श्रम को पुनः स्थापित
करता है। "
" यह संस्कार सामुदायिक जीवन के केन्द्र में है जो विभाजनों को दूर
करता है। इसकी आध्यात्मिकता उनके लिये भी महत्त्वपूर्ण है जो कमजोर है। इसकी सहायता से
विभिन्न प्रकार की मानव क्षणभंगुरतायें, मानव के मूल्यों को कम न करतीं पर मानव को इस
बात के लिये आमंत्रित करतीं हैं कि वे एक-दूसरे के करीब रहें, उन्हें स्वीकार करें और
उनकी मदद करें।"
उन्होंने कहा " मानव जीवन में कुछ भी ऐसा नहीं है जो यूखरिस्त
से सच्चे मार्ग पर चलने की पूर्णता प्राप्त नहीं करता है। इसीलिये हमारा जीवन आध्यात्मिक
आराधना का वह पवित्र पल है जिसे हम हर हालत में येसु से संयुक्त होकर पिता ईश्वर को सर्वोच्च
स्थान देते हुए उन्हीं अर्पित करते हैं।"