देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा द्वारा दिया गया संदेश
कास्तेल गोंदोल्फो रोम 5 सितम्बर 2011 (सेदोक, जेनित) संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने
रविवार 4 सितम्बर को कास्तेल गांदोल्फो स्थित प्रेरितिक प्रासाद के भीतरी प्रांगण में
देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के साथ देवदूत संदेश प्रार्थना का
पाठ किया। उन्होंने रविवारीय परम्परा के अनुसार देवदूत संदेश प्रार्थना के पाठ से पूर्व
इताली भाषा में तीर्थयात्रियों को सम्बोधित करते हुए कहा-
अतिप्रिय भाईयो और
बहनो,
इस रविवार के समारोही ख्रीस्तयाग के बाइबिल पाठ विश्वासियों के समुदाय
में भ्रातृप्रेम या भाई के सुधार शीर्षक पर केन्द्रित है जिसका स्रोत पवित्र त्रित्व
की सामुदायिकता में है। प्रेरित संत पौलुस पुष्टि करते हैं कि ईश्वर की सम्पूर्ण आज्ञा
प्रेम में, दूसरों के साथ हमारे संबंध में पूरी होती है। दस आज्ञाएँ और अन्य सभी आज्ञाओं
का सार इस प्रकार है तुम अपने पड़ोसी को अपने समान प्यार करो।
संत मत्ती रचित
सुसमाचार के 18 वें अध्याय से लिया गया सुसमाचार पाठ मसीही समुदाय के जीवन के बारे में
कहता है कि भ्रातृप्रेम में परस्पर जिम्मेदारी का भाव निहित है। इसलिए, यदि मेरा भाई
मेरे विरूद्ध कोई अपराध करता है तो मुझे उसके प्रति उदार होना है और सबसे पहले उससे अकेले
में बात करता हूँ यह दिखाता हूँ कि उसने जो कहा या किया वह अच्छा नहीं है। समझाने का
यह अभिगम भ्रातृत्वमय सुधार कहलाता है। यह अपराध के विरूद्ध प्रतिक्रिया नहीं है जिसे
मैंने सहा है लेकिन अपने भाई के लिए प्यार से द्रवित होना है। संत अगस्टीन टिप्पणी करते
हैं- जिसने तुम्हारे विरूद्ध अपराध किया है और तुम्हें चोट पहुँचाया है उसने स्वयं अपने
ऊपर गहरा जख्म किया है और क्या आप अपने भाई के जख्मों की परवाह नहीं करोगे ? तुम भूल
जाओ कि तुम्हारा निरादर किया गया है लेकिन अपने भाई के जख्म को नहीं भूलो। और क्या यदि
मेरा भाई मेरी बात नहीं सुने ?
आज के सुसमाचार में येसु क्रमिक अभिगम का संकेत
करते हैं-पहला काम है जाओ और उसके साथ बात करो यदि वह तुम्हारी बात नहीं मानता है तो
दो एक व्यक्तियों को साथ ले जाओ ताकि उनके गवाहों के सहारे सब कुछ प्रमाणित हो जाये।
यदि वह उनकी भी नहीं सुनता है तो कलीसिया को बता दो और यदि वह कलीसिया की भी नहीं सुनता
तो यह जरूरी है कि उसे दिखाया जाये कि उसने कलीसिया से अलग अलग होते हुए क्या विभाजन
खड़ा किया है। यह सब दिखाता है कि मसीही जीवन की यात्रा में सह जिम्मेदारी है। प्रत्येक
जन, अपनी सीमाओं और त्रुटियों के प्रति सजग रहते हुए उसका आह्वान किया जाता है कि भ्रातृत्वमय
सुधार का स्वागत करे तथा इस विशिष्ट सेवा से अन्यों की सहायता करे।
समुदाय में
उदारता का अन्य फल है संयुक्त प्रार्थना। येसु कहते हैं- यदि पृथ्वी पर तुम लोगों में
दो व्यक्ति एकमत होकर कुछ भी माँगेंगे, तो वह उन्हें मेरे स्वर्गिक पिता की ओर से निश्चय
ही मिलेगा क्योंकि जहाँ दो या तीन मेरे नाम पर इकट्ठे होते हैं वहाँ मैं उनके बीच उपस्थित
रहता हूँ। निजी प्रार्थना निश्चित रूप से बहुत महत्वपूर्ण है वस्तुतः अपरिहार्य़ है लेकिन
प्रभु समुदाय में अपनी उपस्थिति का आश्वासन देते हैं कि यद्यपि यह बहुत छोटा है तथापि
यह संयुक्त तथा एक मन का है क्योंकि यह स सच्चाई को प्रतिबिम्बित करती है कि ईश्वर एक
और त्रित्वमय हैं प्रेम का पूर्ण संयोजन। ओरिजेन कहते हैं कि हमें इस स्वरसंगति में खेलना
चाहिए अर्थात मसीही समुदाय की इस समन्वयता में रहें। हमें भाई के सुधार में सहभागी होना
चाहिए जिसके लिए बहुत अधिक विनम्रता तथा दिल की सरलता की जरूरत होती है और प्रार्थना
में जुड़ें ताकि यह ख्रीस्त में वास्तव में संयुक्त समुदाय की ओर से ईश्वर तक पहुँचे।
हम कलीसिया की माँ पवित्रतम माँ मरिया और संत ग्रेगोरी महान, पोप और धर्माचार्य
जिसका हमने कल पूजनधर्मविधि के समय स्मरण किया के द्वारा इन सब मनोरथों के लिए याचना
करें।
इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको
अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।