2011-08-21 13:10:31

संत पापा का प्रवचन
विश्व युवा दिवस का समारोही समापन मिस्सा
21 अगस्त, 2011
कुरोतो वियेनतोस एयर बेस


मेरे युवा साथियो,
यह यूखरिस्तीय समारोह विश्व युवा दिवस की पराकाष्ठा है। येसु आप सबों पर अपनी विशेष स्नेह दृष्टि लगाये हुए हैं। येसु आप लोगों को प्यार करते हैं और आपको अपना मित्र कह रहे हैं। वे आपसे मिलना चाहते हैं और आपकी यात्रा में आपका साथ देना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि आपके लिये एक नया द्वार खोल दें ताकि आपको जीवन की परिपूर्णता प्राप्त हो। वे चाहते हैं कि आप उनके साथ करीबी से जीवन व्यतीत करते हुए ईश्वरीय पिता का सानिन्ध्य प्राप्त कर सकें।
यहाँ आकर हम सबों येसु के प्रेम का गहरा अनुभव किया है और अब हमें चाहिये कि येसु का हमारे प्रति स्नेह के जवाब रूप में इसी प्रेम को दूसरों को बाँटे। निश्चित रूप से आज दुनिया में कई लोग हैं जो येसु के व्यक्तित्व से प्रभावित है और चाहते हैं उनके बारे में और अधिक जानें। वे इस बात का गहरा अनुभव करते हैं कि दुनिया की कई गंभीर सवालों का जवाब येसु ही हैं। कई बार यह सवाल हमारे मन में उठता है कि येसु जो वर्षों पहले इस दुनिया में जीते थे आज के सवालों का जवाब कैसे दे सकते हैं।
आज के सुसमाचार को पढ़ने से इसका जवाब हमें मिलता है। आज के सुसमाचार में हमें येसु को जानने के लिये दो रास्ते दिखाये गये हैं। पहला ज्ञान है अव्यक्तिगत अर्थात् दूसरों के विचारों से प्राप्त ज्ञान। जब येसु पूछते हैं कि उनके बारे में लोग क्या कहते हैं तो चेलों ने बताया कि कुछ लोग कहते हैं योहन बपतिस्ता, कुछ कहते हैं एलियस या येरेमिसय या नबियों में से कोई। पर जब पीटर को येसु वही सवाल करते हैं तो पीटर का उत्तर था " आप मसीह है जीवित ईश्वर के पुत्र " मित्रो, यह था पीटर का विश्वास। विश्वास ऐतिहासिक या प्रयोग द्वारा सिद्ध किये जाने वाले ज्ञान से बड़ा होता है।यह एक ऐसी आन्तरिक क्षमता है जो येसु मसीह के जीवन के रहस्य की गहराई को समझता हो।
फिर भी ऐसा नहीं समझा जाना चाहिये कि विश्वास सिर्फ़ मानव प्रयासों उसकी तर्कशक्ति का परिणाम है। यह वास्तव में ईश्वर का एक वरदान है जैसा कि येसु ने कहा " धन्य हो सिमोन क्योंकि तुम पर यह ज्ञान स्वर्गीय पिता ने ही प्रकट किया है।"
विश्वास वास्तव में ईश्वर से ही आरंभ होता है जो हमें आमंत्रित करता हैं ताकि हम ईश्वरीय जीवन के सहभागी हो सकें। विश्वास हमें सिर्फ़ येसु के बारे सूचनायें नहीं देता पर येसु के साथ एक आत्मीय संबंध बनाता है ताकि हम उनकी दिव्य प्रकाशना को पूरी समझदारी, इच्छा और भावनाओं के साथ समझे और अपने आपको पूर्ण रूप से समर्पित करें। इसलिये येसु का अपने चेलों को यह पूछना की तुम मेरे बारे में क्या कहते हो मात्र एक सवाल नहीं है पर क चुनौती है जिसके लिये उन्हें व्यक्तिगत रूप से निर्णय लेने की आवश्यकता पड़ी।
मित्रो, येसु में विश्वास करना और उसका अनुसरण करने का संबंध गहरा है। हम याद रखें कि विश्वास हमें अपने गुरू का अनुसरण करने को आमंत्रित करता है । इसलिये हमें चाहिये कि हमारा संबंध गुरू के साथ मजबूत और सुदृढ़ इस हद तक होता जाये कि हम चेलों के समान पुनर्जीवित येसु को अपनी आँखों से देख सकें।
मेरे युवा मित्रो, आज प्रभु हमसे वही सवाल कर रहे हैं कि " तुम क्या कहते हो कि मैं कौन हूँ? आप येसु का अपना जवाब पूरी उदारता एवं दीजिये। आप कहिये " येसु मैं जानता हूँ कि आप ईश्वर के पुत्र है और आप ही ने मेरे लिये अपना जीवन दिया है। मैं आप का वफ़ादारी से अनुसरण करना चाहता हूँ और आपके वचनों में चलना चाहता हूँ। आप मुझे जानते है और प्यार करते हैं। मैं आप पर पूर्ण भरोसा रखता हूँ और अपना सारा जीवन आपके हाथों में सौप देता हूं। मैं चाहता हूँ कि आप ही मेरी शक्ति बनें जो मुझे ताकत दे और मुझे ईश्वरीय खुशी से कभी अलग करे। "
आप जानते हैं कि येसु ने संत पीटर के विश्वास के कारण ही उस पर कलीसिया पूरा दायित्व सौंपा।
कलीसिया एक मानव संगठन मात्र नहीं है पर यह ईश्वर से जुड़ी हुई है। येसु ने कलीसिया को स्वयं से जोड़े रखा है। कलीसिया इसीलिये अपनी आंतरिक शक्ति, खुद से नहीं, पर ईश्वर से प्राप्त करती है।



मेरे प्रिय युवा दोस्तो, प्रेरित संत पीटर के उत्तराधिकारी के रूप में मैं आप लोगों से निवेदन करता हूँ कि आप प्रेरितों के द्वारा हम तक पहुँचाया गये विश्वास की रक्षा करें। ईशपुत्र येसु को अपने जीवन का केन्द्र बनायें। इसके साथ यह भी न भूलिये कि येसु का अनुसरण करने का अर्थ है कलीसिया के साथ चलना। आप इस बात को भी याद करें कि आप येसु का अनुसरण करनेवाले अकेले नहीं हैं। यदि आप इस प्रलोभन में फँसते हैं कि आप येसु का अनुसरण अकेले कर सकते हैं तो संभव है आप व्यक्तिवादी बन कर ‘नकली येसु’ का अनुसरण करने लगेंगे।
येसु पर विश्वास करना अर्थात् अपने विश्वास से दूसरों को मदद देना और दूसरों के विश्वास से अपने विश्वास को मजबूत करना। मित्रो, मैं आपलोगों से यह भी कहना चाहता हूँ कि आप कलीसिया को प्यार करें जिसने आपको यह विश्वास का वरदान दिया जिससे आपने येसु को जाना और उसके प्यार का अनुभव किया। मैं आप लोगों को इस बात को भी बताना चाहता हूँ येसु के साथ दोस्ती करने का अर्थ है सहर्ष पल्ली के क्रिया-कलापों में हिस्सा लेना, रविवारीय यूखरिस्तीय बलिदान में हिस्सा लेना, पापस्वीकार संस्कार ग्रहण करना, व्यक्तिगत प्रार्थना करना, ईशवचन सुनना और विभिन्न संगठनों और कलीसिया संचालित आंदोलनों में भाग लेना।
येसु की संगति आपको विश्वास का साक्ष्य देने को प्रेरित करेगी ऐसे समय में भी जब आपको तिरस्कार और उदासीनता का सामना करना पड़े। आज ज़रूरत है येसु के बारे में दूसरों को बताये जाने की। दूसरों को बताइये कि येसु में विश्वास करने से कितनी खुशी प्राप्त होती है। आज दुनिया को आपके विश्वास के साक्ष्य की ज़रूरत है। विश्व के कोने-कोने से आपका यहाँ एकत्र होना इस बात का प्रमाण है कि येसु की वाणी में ताकत है जिन्होंने कहा था, " दुनिया के कोने-कोने में फैल जाओ और सुसमाचार का प्रचार करो। " (मारकुस 16, 15)। आज आपको भी यही मिशन दिया जा रहा है।
आज मैं आपके लिये सस्नेह प्रार्थना करते हुए माता मरिया के चरणों में सौंप देता हूँ ताकि वे आपको ईशवचन के प्रति निष्ठावान बनें। मेरे लिये प्रार्थना करें ताकि मैं भी संत पीटर के उत्तराधिकारी के रूप में लोगों के विश्वास को मजबूत करूँ। हम एक साथ पवित्रता में आगे बढ़ें और पूरी मानवजाति को- ईशपुत्र, जीवन और आशा के श्रोत - प्रभु येसु की सत्यता का साक्ष्य प्रभावपूर्ण तरीके से दे सकें।








All the contents on this site are copyrighted ©.