विश्वविद्यालय के युवा प्रोफेसरों को संत पापा का संदेश
स्पेन के युवा प्रोफेसरो, आप विपरीत परिस्थितियों में भी सत्य का प्रचार करते
हुए कलीसिया को अपनी महत्त्वपूर्ण सेवायें दे रहे हैं। आज मैं उन दिनों की याद करता हूँ
जब मैं पहली बार बोन्न विश्वविद्यालय का प्रोफेसर बना था। मुझे याद है कि उन दिनों लोग
विश्व युद्ध के सदमें से उबरने का प्रयास कर रहे थे और हम दूसरे प्रोफेसरों और विद्यार्थियों
से मिलकर मानव जीवन की गंभीर सवालों का जवाब खोजने का प्रयास करते थे।
विश्व
युवा दिवस की विषयवस्तु ‘येसु में आधारित और निर्मित तथा विश्वास में दृढ़ रहना’ भी आपकी
पहचान और मिशन को समझने में आपकी मदद कर सकता है। जैसा कि मैंने युवाओं से कहा है कि
" हम मज़बूत नींव पर ही हम अपना जीवन को सुदृढ़ रख सकते हैं।ऍ1 आज की युवा पीढ़ी
भ्रमित है और अगर आज के प्रोफेसर उन्हें सिर्फ़ इस योग्य बनायें कि वे दुनियावी माँगों
के लिये उपयोगी सिद्ध हों तो इसका अर्थ है कि वे केवल ‘टेक्निकल’ रूप से दक्ष हो पाये
हैं। सच पूछ जाये तो आज की शिक्षा उपयोगितावादी होती जा रही है। ऐसे समय में अगर उपयोगितावादी
और शुद्ध व्यवहारवादी ही शिक्षा का मापदंड हो जाये तो इसके कई दुष्परिणाम हो सकते हैं।
आज इस बात की ज़रूरत है कि विश्वविद्यालय विद्यार्थियों को न्यूनकारी और कटौतीपूर्ण
दृष्टि से मानवता बचाया जाये। वास्तव में यूनिवर्सिटी एक ऐसा आवास है जहाँ हर व्यक्ति
मानव के लिये सत्य की खोज़ करता है। इसलिये विश्वविद्यालयों को चाहिये कि वे उन आदर्शों,
तर्कों एवं विचारधाराओं के साथ समझौता न करें जो मानव को सिर्फ़ एक उपभोक्ता मानते हैं।]
युवाओं को सच्चे गुरूओं की ज़रूरत है, ऐसे गुरूओं कि जो सत्य की पूर्णतापर विश्वास
करते हैं, जो दूसरों के विचारों के प्रति खुले हैं और अंतरविषय वार्ता के लिये तत्पर
है और उससे भी बढ़कर कि वे ऐसे लोग हैं जो यह विश्वास करते हैं कि मानव सत्यगामी है।
प्लेटो कहा करते थे कि " युवावस्था में ही सत्य की खोज़ करो क्योंकि अगर
उसे तुम नहीं पा सके तो बाद में वह तुम्हारी पकड़ से बाहर हो जायेगा। " अगर आप अपनी
बातों और उदाहरण से इस बात की जानकारी युवाओं को दे सके तो यह उनके लिये बहुत बड़ा वरदान
सिद्ध होगा जो तकनीकि ज्ञान से बड़ा होगा। आप सदा याद रखें कि अध्यापन कार्य केवल
ज्ञान देना नहीं है पर युवाओँ के जीवन का निर्माण करना है। आप को चाहिये कि आप उन्हें
प्यार करें, उन्हें समझने का प्रयास करें और उनके दिल मे सत्य की भूख और परमात्मा से
मिलने की व्याकुलता जगायें। आप उनके लिये उत्साह के श्रोत बनें। आप यह भी जानें कि
सत्य की पूर्णता की प्राप्ति के लिये पूर्ण समर्पण चाहिये। यह एक ऐसा रास्ता है जहाँ
प्रेम, समझदारी, विश्वास और तर्क सबकुछ चाहिये। सच्चाई और भलाई, प्रेम और ज्ञान को लेकर
लगातार चलना भी एक शिक्षक का विशेष गुण है। आप लोगों को चाहिये कि आप विद्यार्थियों को
अपनी ओर आकृष्ट न करें पर उन्हें ऐसा ज्ञान दें कि वे सत्य के पथ में एक साथ आगे बढ़ने
को आकृष्ट हों। ईश्वर अवश्य ही उनकी मदद करेंगे। इन सब अच्छी बातों को करने के लिये
यह आवश्यक है कि हम अपनी आँखे येसु पर केन्द्रित करें जो आपको सत्य के बारे में बतायेगा
और आपके मन को प्रज्वलित करेगा। पूर्ण विश्वास के साथ मैं आपको यह बताना चाहता हूँ माता
मरिया आपकी रक्षा करेंगी और येसु आपके विद्यार्थियों पर ज्ञान और विश्वास का उचित फल
में देंगे।