प्लाजा दे सिबेलेस में युवाओं के लिए संत पापा का संदेश
मैड्रिड, स्पेन 19 अगस्त 2011 (सेदोक) मैड्रिड के प्लाजा दे सिबेलेस में गुरूवार संध्या
आयोजित स्वागत समारोह में संत मत्ती रचित सुसमाचार के अध्याय 7 पद संख्या 24- 27 का
पठन किया गया जिसमें घर बनाने के लिए चट्टान और बालू पर नींव डालने का वर्णन है। संत
पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने प्रवचन करते हुए विश्व युवा दिवस के प्रतिभागी युवाओं से कहा-
मैं पाँच महाद्वीपों के युवा प्रतिनिधियों की ओर से व्यक्त हार्दिक उदगारों के लिए धन्यवाद
देता हूँ। मैं ओशेनिया, अफ्रीका, अमरीका, एशिया और यूरोप से आये युवाओं तथा जो नहीं आ
सके उनका भी सस्नेह अभिवादन करता हूँ। आप मेरे दिल और मेरी प्रार्थना में हैं। ईश्वर
ने मुझे कृपा दी कि मैं आपको देख और सुन रहा हूँ जब हम जमा हुए हैं और उनके वचन को सुन
रहे हैं। मैं सुसमाचार से पढ़े गये पाठ येसु के शब्दों का स्वागत करने तथा इन्हें दैनिक
जीवन में लागू करने का आह्वान करता हूँ। ।
प्रिय युवाओ, प्रभु के वचन को ध्यानपूर्वक
सुनें ताकि वे आपके लिए जीवन और आत्मा बन जायें। मूल या जड़ जो आपके अस्तित्व को पोषण
प्रदान करे, जीवन का नियम जो आपको ख्रीस्त का व्यक्ति बनाये अर्थात विन्रम, न्यायप्रिय,
दयालु, शुद्ध, शांतिप्रेमी व्यक्ति बनाये। आप जानते हैं कि जब ख्रीस्त के साथ नहीं चलते
हैं उन्हें मार्गदर्शक नहीं बनाते हैं तो मार्ग से भटक जाते हैं, स्वार्थी बनना चाहते
हैं या ऐसे पथ चुनते हैं जो अंततः खालीपन और निराशा में लेकर छोड़ देते हैं। युवा, इन
दिनों का उपयोग ख्रीस्त को और अधिक जानने के लिए करें और यह सुनिश्चित करें कि आपकी जड़े
उनमें हैं, आपकी खुशी और उत्साह, आगे बढ़ने की इच्छा का निश्चित भविष्य है क्योंकि जीवन
की परिपूर्णता आपके अंदर रखी गयी है।
संत पापा ने युवाओं से कहा कि वे विकेकी
और बुद्धिमान बनें, ख्रीस्त जो सुदृढ़ नींव हैं उनपर अपने जीवन का निर्माण करें। यह विवेकशीलता
और बुद्धिमत्ता उनके कदमों को मार्गदर्शन प्रदान करेगी, उन्हें कोई भयभीत नहीं करेगा
तथा उनके दिल में शांति का राज्य होगा। वे खुश और धन्य होंगे तथा उनकी खुशी अन्यों को
भी प्रभावित करेगी। वे उनके जीवन के रहस्य पर आश्चर्य करेंगे और उनके जीवन की नींव के
बारे में जानेंगे जो ख्रीस्त हैं।
संत पापा ने कहा कि वे विश्व युवा दिवस समारोह
के फलों को पवित्रतम कुँवारी माता मरियम को अर्पित करते हैं जिन्होंने ईश्वर की इच्छा
को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान किया और अपने दिव्य पुत्र के प्रति निष्ठा का अनूठा उदाहरण
देकर हमें सिखाती हैं। वे क्रूस पर उनकी मृत्यु तक उनके पीछे पीछे चलती रहीं। हम प्रार्थना
करें कि येसु की मित्रता के प्रति हमारा सकारात्मक जवाब आज और जीवन भर बना रहे।