2011-08-15 16:08:58

भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिये सबका सहयोग ज़रूरी - प्रधानमंत्री


जूलयट जेनेविव क्रिस्टफर


नई दिल्ली, 15 अगस्त सन् 2011 (बी.बी.सी.): राजधानी दिल्ली में, सोमवार 15 अगस्त को, लाल क़िले के प्राचीर से, सम्पूर्ण देश को सम्बोधित कर भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने, स्वतंत्रता दिवस की 64वीं सालगिरह के उपलक्ष्य में, देशवासियों के प्रति हार्दिक शुभकामनाएँ अर्पित की तथा सभी के लिये सुख और समृद्धि की कामना की।

इस अवसर पर उन्होंने देश के विकास में भ्रष्टाचार को सबसे बड़ी बाधा निरूपित किया और कहा कि इसे समाप्त करने हेतु सबके सहयोग की नितान्त आवश्यकता है।

प्रधानमंत्री ने कहा, "विश्व मानता है कि भारत में एक बृहत आर्थिक शक्ति रूप में उभरने की क्षमता है किन्तु भ्रष्टाचार वह रोग है जो प्रगति के रास्ते में अड़चनें उत्पन्न कर रहा है और इसे परास्त करने के लिये सभी का सहयोग ज़रूरी है।"

अनशन और भूख हड़ताल के रास्ते को अनुचित ठहराते हुए प्रधान मंत्री ने कहा, "सरकार एक स्वतंत्र लोकपाल का गठन करना चाहती है किन्तु इस मामले में क़ानून कैसा हो, इसका निर्णय केवल संसद ही ले सकती है।"

इस बीच, 15 अगस्त की पूर्व सन्ध्या राष्ट्रपति प्रतिभा सिंह पाटिल ने भी भ्रष्टाचार को रोकने के लिये हर स्तर पर पारदर्शिता और जवाबदेही को अनिवार्य बताया।

श्रीमती पाटिल ने कहा, "देश के राजनैतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और सामाजिक जीवन के लिए भ्रष्टाचार कैंसर रोग की तरह है जिससे लड़ने के लिए एक ऐसी व्यवस्था क़ायम करने की ज़रूरत है जिसमें हर स्तर पर पारदर्शिता और जवाबदेही हो। ऐसी व्यवस्था जो व्यावहारिक हो तथा जो प्रभावी होने के बाद लम्बे अर्से तक कायम रह सके।"

ग़ौरतलब है कि विगत कुछ माहों से, गाँधीवादी विचारधारा रखनेवाले, अन्ना हज़ारे एवं उनके समर्थक भ्रष्टाचार के ख़िलाफ ऐसे लोकपाल की मांग करते रहे हैं जिसके दायरे में प्रधान मंत्री एवं न्यायपालिका को भी लाया जा सके।

अपनी इस मांग को रखने के लिये मंगलवार से अन्ना हज़ारे एवं उनके समर्थकों ने अनिश्चितकालीन अनशन और हड़ताल की भी घोषणा की है।

विशेषज्ञों का मानना है इसी सन्दर्भ में प्रधान मंत्री एवं राष्ट्रपति ने भी स्वतंत्रता दिवस के भाषणों में भ्रष्टाचार के मुद्दे को विस्तार से उठाया।


























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