2011-08-15 16:24:50

देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा द्वारा दिया गया संदेश


कास्तेल गांदोल्फो 15 अगस्त 2011 (सेदोक) संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने 14 अगस्त को कास्तेल गांदोल्फो स्थित ग्रीष्मकालीन प्रेरितिक प्रासाद के भीतरी प्रांगण में देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के साथ देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया। उन्होंने रविवारीय परम्परा के अनुसार देवदूत संदेश प्रार्थना के पाठ से पूर्व इताली भाषा में तीर्थयात्रियों को सम्बोधित करते हुए कहा-

अतिप्रिय भाईयो और बहनो,

इस रविवार का सुसमाचार पाठ उस क्षेत्र के वर्णन के साथ आरम्भ होता है जहाँ येसु जा रहे हैं गलीलिया के उत्तर पश्चिम में स्थित गैर यहूदी प्रदेश, तीरूस और सिदोन का क्षेत्र। यहाँ येसु की मुलाकात एक कनानी स्त्री से होती है। वह उनसे आग्रह करती है कि वे उनकी बेटी को चंगा कर दें जो अपदूत द्वारा बुरी तरह सतायी जा रही है। इस आग्रह पर भी हम गहन विचार कर सकते हैं कि विश्वास की यात्रा आरम्भ होती है जो दिव्य गुरु के साथ संवाद करते हुए मजबूत होती है। महिला येसु को पुकार-पुकार कर यह कहने से डरती नहीं है, " मुझ पर दया कीजिए " । स्तोत्र ग्रंथ से लिया गया वाक्यांश कहता है- प्रभु, दाऊद के पुत्र। वह सुने जाने की दृढ़ आशा को प्रकट करती है। एक कनानी स्त्री, गैर यहूदी महिला की करूण पुकार के सामने प्रभु की मनोवृत्ति कैसी है। येसु का मौन विस्मयकारी प्रतीत हो सकता है इसलिए शिष्य निवेदन करते हैं लेकिन यह महिला के दुःख दर्द के प्रति असंवेदनशीलता नहीं है।

संत अगुस्टीन कहते हैं- ख्रीस्त उनके प्रति तटस्थ थे, उनकी दया खारिज नहीं करती है लेकिन प्रज्वलित करने की इच्छा है। येसु की तथाकथित असंलग्नता जो कहती है- मैं इस्राएल की खोयी हुई भेड़ों के पास भेजा गया हूँ। यह वाक्य कनानी स्त्री को निरूत्साहित नहीं करता है वह जोर देती है- प्रभु, मेरी सहायता कीजिए। यहाँ तक कि सब प्रकार की आशा को समाप्त कर देनेवाले प्रत्युत्तर मिलने कि बच्चों की रोटी लेकर पिल्लों के सामने डालना ठीक नहीं है , इसके बावजूद वह अपनी आशा नहीं छोड़ती है। कहती है- प्रभु, फिर भी स्वामी की मेज से गिरा हुआ चूर पिल्ले खाते ही हैं। सरलता और विनम्रता, सरल नजर और ईश पुत्र येसु द्वारा कहा गया शब्द जो महान विश्वास के प्रत्युत्तर में कहते हैं- नारी, तुम्हारा विश्वास महान है। तुम्हारी इच्छा पूरी हो।
प्रिय मित्रो, हमें भी बुलाया गया है कि विश्वास में बढ़ें, स्वतंत्रता पूर्वक ईश्वर के उपहार को ग्रहण करें, येसु पर भरोसा करें और पुकारें हमें विश्वास दीजिए, हमारे पथ पाने के लिए हमें सहायता कीजिए। यही वह यात्रा है जिसे येसु ने अपने शिष्यों को, कनानी स्त्री को तथा हर युग के लोगों और हममें से प्रत्येक जन को चलने के लिए देते है। विश्वास हमें येसु की सच्ची अस्मिता को जानने और स्वीकार करने के लिए खोलता है। इसकी नवीनता तथा अनूठापन, उनेक शब्द, जीवन के स्रोत समान, उनके साथ निजी संबंध को जीने से विश्वास बढ़ता है, उस पथ को पाने की इच्छा के साथ बढ़ता है, और अंततः यह ईश्वर का वरदान है जो स्वयं को हमारे लिए अस्पष्ट, नामरहित रूप में नहीं प्रकट करते हैं बल्कि विश्वास व्यक्ति को जवाब देता है कि वे हमारे साथ गहन प्रेम के संबंध में प्रवेश करना चाहते तथा हमारे सम्पूर्ण जीवन को शामिल करना चाहते हैं। इसलिए हमारा दिल प्रतिदिन मनपरिवर्तन के अनुभव को जीये, प्रतिदिन व्यक्ति स्वयं का आत्मनिरीक्षण करे, ईश्वर के कृत्य के प्रति मानव खुलापन रखे, आध्यात्मिक व्यक्ति ईशवचन द्वारा चुनौती पाकर उनके प्रेम के लिए अपने जीवन को खोल देता है।

प्रिय भाईयो और बहनो, हम प्रतिदिन ईश वचन को गहन रूप से सुनते हैं, संस्कारों का समारोह मनाते हैं, निजी प्रार्थना में ईश्वर को पुकारते हैं तथा अपने पड़ोसियों के प्रति उदारता दिखाते हैं और अपने विश्वास का पोषण करते हैं। हम कुँवारी माता मरिया की मध्यस्थता की याचना करते हैं जिनके आत्मा और शरीर के साथ स्वर्ग में महिमा सहित उठा लिये जाने पर मनन चिंतन करते हैं ताकि प्रभु को पाने के आनन्द और अपने जीवन से इसका साक्ष्य देने और उदघोषणा करने में हमारी सहायता करें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








All the contents on this site are copyrighted ©.