भोपाल, 10 अगस्त, 2011 (कैथन्यूज़) मध्यप्रदेश के उच्च न्यायालय ने स्थानीय कलीसिया को
निर्देश दिया है कि वह इस बात को सुनिश्चित करे कि भगवद् गीता ‘जीवन दर्शन’ है या किसी
धर्म से संलग्न।
उच्च न्यायालय के डिवीज़न ब्राँच के न्यायधीश एस. हरकौली और यू.सी.
महेश्वरी ने विगत् सप्ताह याचिकाकर्ता के वकील राजेश चन्द को दो माह का समय दिया और कहा
कि मामले के बहस केपूर्व वह भगवद् गीता का अध्ययन करे।
ज्ञात हो कि चरिच ने याचिका
में कहा ता कि हिन्दु धर्मशास्त्र के सार का सिर्फ़ नहीम वरन् सभी धर्मों के सार को स्कूली
पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिये।
ग़ौरतलब है कि राज्य सरकार ने सरकारी स्कूलों
को यह आदेश दिया है कि वे भगवद् गीता का सारांश ‘गीता सार’ को अपने पाठ्यक्रम में शामिल
करें।
इसके मद्देनज़र मध्यप्रदेश काथलिक कलीसिया के प्रवक्ता फादर आनन्द मत्तुंगल
ने उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी और कोर्ट से निवेदन किया था कि राज्य सरकार
स्कूलों में सभी धर्मों के सार के अध्यापन का निर्देश जारी करे।