नई दिल्लीः दिल्ली हाई कोर्ट के फैसला, धर्म बदलनेवाले मौसेरे भाई बहन के बीच विवाह वैध
नई दिल्ली, 2 अगस्त सन् 2011 (कैथन्यूज़): दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा
है कि रिश्ते में भाई-बहन लगने वाले हिंदू युवक-युवती ईसाई धर्म अपनाकर आपस में शादी
कर सकते हैं।
अदालत के इस फैसले ने एक सेवानिवृत्त न्यायधीश की याचिका खारिज
कर दी। न्यायाधीश ने अपने मैजिस्ट्रेट बेटे के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसने धर्म बदलने
के बाद अपने मामा की बेटी से शादी कर ली थी।
हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति सुरेश
कैत ने शादी की वैधता को कायम रखते हुए कहा, "'प्रतिवादियों (दम्पत्ति) का धर्म परिवर्तन
भारतीय ख्रीस्तीय विवाह अधिनियम की धारा तीन के तहत उचित है। अस्तु, इनके विवाह को ऐसा
सम्बन्ध नहीं माना जा सकता जो हिंदू विवाह अधिनियम के तहत प्रतिबंधित है।"
मामला
दर्ज कराने वाले पिता को फटकार बताते हुए अदालत ने कहा, "इस तरह की सोच नई पीढ़ी की व्यापक
सोच को खत्म करती है और कई बार यह, परिवार की मर्यादा के नाम पर की जाने वाली, हत्याओं
तक ले जाती है।"
अदालत ने याचिकाकर्ता ओ. पी. गोगने पर 'विचार न करने योग्य मामला'
दर्ज करने का आरोप लगाया और साथ ही 10,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया। उन्होंने कहा कि
एक सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारी होने के नाते याचिकाकर्त्ता को सावधानी बरतनी थी और इस
प्रकार का तुच्छ मामला पेश नहीं करना था। न्यायमूर्ति कैत ने कहा कि याचिकाकर्त्ता ने
अनावश्यक ही अदालत का समय बरबाद किया है।