नई दिल्ली 29 जुलाई 2011 (काथलिक न्यूज) युवाओं के संरक्षक संत जोन बोस्को का अवशेष 28
जुलाई को नई दिल्ली पहुँचा। दिल्ली सलेशियन प्रोविंश के प्रोविंशियल फादर मिखायल पेदीकायिल
ने कहा वे मित्र, शिक्षक और पिता थे। यह हमारे लिए आनन्द और उत्साह की बात है कि उनका
अवशेष आज यहां हमारे मध्य है। वे हमारे बीच हैं लेकिन दूसरे रूप में। संत जोन बोस्को
का अवशेष नई दिल्ली में ओखला स्थित डोन बोस्को प्रोविंशियल हाऊस 28 जुलाई को पहुँचा जहाँ
से फिर इसे शोभायात्रा में मसीहगढ़ चर्च के लिए ले जाया गया ताकि विश्वासी जन आराधना
कर सकें। शोभायात्रा में पुरोहितों और धर्मबहनों सहित लगभग 150 लोग शामिल हुए। संत जोन
बोस्को के अवशेष को 30 जुलाई को सेक्रेड हार्ट कैथीड्रल में रखा जाएगा तथा पहली अगस्त
को यह पंजाब और चंडीगढ़ ले जाया जायेगा। फादर पेदीकायिल ने कहा कि संत जोन बोस्को
के अवशेष की उपस्थिति देश में सलेशियन धर्मसमाजियों की निष्ठा और दृश्यता को बढायेगी।
संत जोन बोस्को युवाओं के संरक्षक संत हैं इसलिए यह घटना कलीसिया तथा समाज को मदद करेगी
कि वे युवा पीढ़ी पर और अधिक ध्यान केन्द्रित करें। यह संयोग ही है कि संत जोन बोस्को
का अवशेष भारत में लाया गया है और इसी वर्ष युवाओं को समर्पित वर्ष भी मनाया जा रहा है।
डोन बोस्को सलेशियन धर्मसमाज की स्थापना की 150 वीं वर्षगाँठ तथा सन 2015 में संत
जोन बोस्को के जन्म की 200 वर्षगाँठ को देखते हुए संत जोन बोस्को के अवशेष को विश्व के
130 से अधिक देशों में ले जाया जा रहा है। यह यात्रा इटली के तूरिन शहर से 25 अप्रैल
2009 को आरम्भ हुई थी। भारत 40 वाँ देश है जहाँ उनका अवशेष लाया गया है।