रोम, 25 जुलाई, 2011 (ज़ेनित) जर्मनी के इतिहासकार मिखाएल हेसमन्न के हाल के रिसर्च के
अनुसार संत पापा पीयुस बारहवें ने द्वितीय विश्व युद्ध के समय रोम के 11 हज़ार यहूदियों
को बचाया। उक्त बात की जानकारी वे फाउन्डेशन प्रतिनिधि इतिहासकार एवं शोधकर्ता माईकेल
हेसमन्न ने उस समय दी जब उन्होंने रोम में अवस्थित सान्ता मरिहया देल अनीमा में संरक्षित
कलीसियाई दस्तावेज़ों का अध्ययन किया। विदित हो कि ‘द वे फाउन्डेशन’ एक अमेरिकन
संस्था है जिसकी स्थापना एक यहूदी गारी कुरुप द्वारा किया गया था। मिखाएल ने ज़ेनित
समाचार को बताया कि " कई लोगों ने संत पापा पीयुस बारहवें को इस बात के लिये आलोचना की
है कि उन्होंने उस समय चुप्पी साध ली थी जब 1 हज़ार 7 यहूदियों को रोम से ऑस्विच के कैम्प
में लिया जा रहा था जहाँ उन्हें मृत्यु दंड दिया गया। लोगों ने संत पापा पीयुस बारहवें
द्वारा 16 अक्तूबर सन् 1943 को गिरफ्तारियाँ रोकने के लिये उठाये गये कार्यों को भी
स्वीकार नहीं करते। उन्होंने बताया कि नये शोध बताते हैं कि " संत पापा पीयुस
बारहवें के पहलों से ही 11 हज़ार 400 यहूदियों की जानें बच गयी जिन्होंने 2 बजे अपराह्न
गिरफ्तारियाँ रोकने का आदेश दिया था। यह भी सत्य है कि वे उस ट्रेन को नहीं रोक
सके जिसमें एक हज़ार सात यहूदी सवार थे। शोधकर्ता डीकन दोमेनिक ओवेरस्तीनस के अनुसार
रोम में 16 अक्तूबर 1943 को 12, 428 यहूदी थे। रिसर्च के अनुसार संत पापा पीयुस 12वें
नें एक आधिकारिक विरोध पत्र जारी कर जर्मन राजदूत को यहूदियों के विरुद्ध कार्यवाही रोकने
की आज्ञा दी। इसके तुरन्त बाद संत पापा ने अपने भतीजे राजकुमार कारलो पाचेल्ली को
ऑस्ट्रियन धर्माध्यक्ष अलोइस हुडल से मिलने भेजा जो कि रोम में नैशनल चर्च ऑफ जर्मनी
के अध्यक्ष थे और यहूदियों के साथ सहानुभूति रखा करते थे। संत पापा ने धर्माध्यक्ष
हुडल से इस बात की सलाह दी कि वह रोम के जर्मन गवर्नर जेनेरल रायनियेर स्ताहेल को एक
पत्र लिखें और यहूदियों की गिरफ्तारी रोकें। पत्र को सोसाइटी ऑफ द डिवाइन सेवयर
के सुपीरियर जेनेरल जर्मन फादर पंक्रासियुस फिफेर ने व्यक्तिगत रूप से जाकर जेनेरल स्ताहेल
को दिया था और उसी के प्रभाव से रोम में यहूदियों की गिरफ़्तारी रुकी और उनकी जानें बच
गयीँ।