दलित ईसाईयों की माँग के समर्थन में धरना और विरोध प्रदर्शन
नई दिल्ली 22 जुलाई 2011 (ऊकान) धर्माध्यक्षों और लोकधर्मियों सहित ईसाईयों ने अनुसूचित
जाति को दी जानेवाले सुविधाओं को दलित ईसाईयों को भी दिये जाने की माँग के समर्थन में
संसद के सामने भूख हड़ताल और धरना प्रदर्शन करने की घोषणा की है। भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय
सम्मेलन (सीबीसीआई) के फादर जी कोसमोन आरोकियाराज ने कहा कि हड़ताल और धरना प्रदर्शन
25 जुलाई को आरम्भ होंगे तथा 28 जुलाई को रैली का आयोजन किया जायेगा जो रामलीला मैदान
से शुरू होकर संसद के सामने समाप्त होगा। इस रैली का आयोजन दलित ईसाईयों के लिए राष्ट्रीय
संयोजन समिति द्वारा किया जायेगा जो सीबीसीआई तथा नेशनल कौंसिल ओफ चर्चेज इन इंडिया का
संयुक्त कार्यक्रम है। इस विरोध प्रदर्शन में अन्य धर्मों के लोग भी शामिल होंगे। उन्होंने
कहा कि 60 से अधिक साल हो गये हैं अनुसूचित जाति के ईसाई जाहिर करते रहे हैं कि अन्य
धर्मों के दलितों के समान ही उन्हें शिक्षा और रोजगार के मामले में संवैधानिक सुविधाएं
दी जायें लेकिन बहुत कम फल मिला है। संविधान के तीसरे पैराग्राफ में अनुसूचित जाति
के हिन्दुओं के लिए शिक्षा और रोजगार में प्रावधान किये गये। इसका लाभ बाद में सिक्ख
और बौद्ध धर्मानुयायी अनुसूचित जाति के लोगों को दिया गया लेकिन दलित मूल के ईसाई और
मुसलमानों को बाहर रखा गया है। अनेक संगठनों सहित रंगनाथ मिश्रा आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित
जाति आयोग तथा राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने दलित ईसाईयों के अपवर्जन को धर्म पर आधारित
भेदभाव कहा है। फादर आरोकियाराज ने कहा कि हमारे पास विरोध प्रदर्शन करने तथा इतिहास
के सर्वाधिक लम्बे संघर्ष के मुद्दे को सामने लाने के अतिरिक्त कोई उपाय नहीं रह गया
है। हम 10 अगस्त को काला दिवस मनाते हैं जब सन 1950 को इसी दिन उक्त विधान पर राष्ट्रपति
द्वारा हस्ताक्षर किया गया था। पाराग्राफ 3 में लगायी गयी रोक के लिए केवल कांग्रेस पार्टी
और इसकी सरकार ही जिम्मेदार है।