2011-07-21 18:37:57

पुरोहित विशेषज्ञ बनें


ढाका बांग्लादेश, 21 जुलाई 2011 (काथलिक न्यूज) बांग्लादेश की राजधानी ढाका में सोमवार को समाप्त हुए धर्मप्रांतीय पुरोहितों के सम्मेलन में कहा गया कि आज के समाज में कलीसिया के सामने प्रस्तुत चुनौतियों और माँगों को पूरा करने के लिए धर्मप्रांतीय पुरोहितों को विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञ बनने की जरूरत है।
फादर सुनील दानियल रोजारियो ने कहा कि देश में 196 धर्मप्रांतीय पुरोहित हैं जो अन्य धर्मसमाजी पुरोहितों की कुल संख्या से अधिक हैं लेकिन उनके विचार में दस से भी कम विशेषज्ञ पुरोहित होंगे। राजशाही धर्मप्रांत में मोहिपारा स्थित संत अंतोनी चर्च के पल्ली पुरोहित फादर रोजारियो ने बांग्लादेश धर्मप्रांतीय पुरोहितों के संघ की वार्षिक सामान्य आमसभा के दौरान अपनी हताशा व्यक्त करते हुए उक्त बातें कहीं।
धर्मप्रांतीय पुरोहितों का सम्मेलन ढाका स्थित होली स्पिरिट नेशनल मेजर सेमिनरी में आयोजित की गयी थी। फादर रोजारियो ने कहा कि यदि पुरोहित समाज नेता विशेषज्ञ नहीं है तो अन्य सक्षम लोकधर्मी उसे नियंत्रित कर सकते हैं। यह स्थिति उन्हें पक्षपात होने की संभावना के अनुकूल होने के लिए स्वतंत्र हो जाता है जो कि इन दिनों पुरोहितों के लिए सामान्य चुनौती है और इसका सामना करने के लिए हम सब को तैयार रहने की जरूरत है।
चित्तगाँव धर्मप्रांत में नारीकेलबारी चर्च में सहायक पुरोहित फादर माइकेल मिलोन देवरी ने कहा कि अन्य विशेषज्ञता के अन्य क्षेत्रो में प्रशिक्षण दिये जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भावी पुरोहितों को सेमिनरी या अन्य उच्च शिक्षण संस्थानो में विशेषज्ञता हासिल करनेवाले विषयों को भी पढ़ाया जाना चाहिए। उन्हें प्रोफेशनल बैंकर, शिक्षक, पत्रकार या वकील भी बनने की जरूरत है। आज बहुत कम विशेषज्ञ पुरोहित हैं। प्रशिक्षित पुरोहित कलीसिया के लिए वास्तव में मदद होंगे।
फादर शिशिर ग्रेगोरी ने कहा कि कभी कभी पुरोहितों को उनकी रूचि के विषय पढ़ने की अनुमति नहीं दी जाती है जो निराशा उत्पन्न करती है। पुरोहितों का प्रशिक्षण और तैयारी इस तरह हो कि उन लोगों और उन जगहों को ध्यान में रखा जाये जहाँ वे जाकर प्रेरिताई काम करेंगे।
ढाका स्थित काथलिक विशप्स क्रिश्चियन कम्युनिकेशन्स सेन्टर के निदेशक फादर जोयंतो एस गोमेस ने कहा कि यह संघ पुरोहितों के लिए तथा पुरोहितों की जरूरतों को पूरा करने और समर्थन देने के लिए हमेशा से रहा है। यह सुनिश्च्ति किये जाने की जरूरत है कि भावी पुरोहितों का प्रशिक्षण समय की माँग के अनुरूप हो ताकि वे आधुनिक समय की चुनौतियों के प्रति अधिक जागरूक और संवेदनशील हों।








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