2011-07-20 12:14:03

लन्दनः सन्त पापा के प्रतिनिधि कार्डिनल तौराँ ने पवित्रभूमि पर सम्मेलन को किया सम्बोधित


लन्दन, 20 जुलाई सन् 2011 (सेदोक): लन्दन में पवित्रभूमि पर आयोजित सम्मेलन में मंगलवार को वाटिकन के वरिष्ठ कार्डिनल जाँ लूई तौराँ ने कहा कि केवल न्याय, निष्कपट पुनर्मिलन और चंगाई की मज़बूत नींव पर स्थायी शांति स्थापित की जा सकती है।

18 तथा 19 जुलाई को, लन्दन में, "पवित्रभूमि में ईसाई समुदाय के समक्ष प्रस्तुत चुनौती" विषय पर दो दिवसीय सम्मेलन सम्पन्न हुआ। ब्रिटेन की काथलिक एवं एंगलिकन कलीसियाओं ने संयुक्त रूप से इस सम्मेलन का आयोजन किया था। सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें के विशिष्ट प्रतिनिधि रूप में अन्तरधार्मिक वार्ता सम्बन्धी परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल जाँ लूई तौराँ ने सम्मेलन में भाग लिया।

कार्डिनल तौराँ ने कहा कि दो दिन तक विचारों के आदान प्रदान के बाद हमारा यह विश्वास मज़बूत हुआ है कि यदि एक दीवार सुरक्षा प्रदान कर सकती है तो वह विभाजन भी उत्पन्न कर सकती है। उन्होंने कहा, "एक ओर दीवार सुरक्षा प्रदान करती है तो दूसरी ओर वह आशंकाओं, सन्देहों और साथ ही अज्ञान को बढ़ावा भी देती है।"

उन्होंने कहा कि इसीलिये यह अत्यधिक महत्वपूर्ण है कि पवित्र भूमि के ख्रीस्तीय लोग, शत्रुता की दीवार को तोड़नेवाले प्रभु ख्रीस्त का अनुसरण करते हुए इसराएली एवं फिलीस्तीनी समाजों के बीच मैत्री एवं सम्वाद को प्रोत्साहित करने हेतु अपना योगदान दें।

पवित्रभूमि में जीवन यापन करनेवाले ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों की जोख़िम भरी स्थिति के प्रति उन्होंने ध्यान आकर्षित कराया और कहा कि विगत पचास वर्षों के राजनैतिक उथल पुथल, सशस्त्र संघर्ष और युद्धों ने पवित्रभूमि में ख्रीस्तीयों की उपस्थिति एवं उनके नेतृत्व को कमज़ोर कर अनेक ख्रीस्तीय परिवारों को अन्यत्र पलायन हेतु बाध्य किया है।

उन्होंने कहा कि पवित्रभूमि को ख्रीस्तीय धर्म का संग्रहालय नहीं बनने दिया जाना चाहिये। उन्होंने कहा, "हम ख्रीस्तीयों के लिये पवित्रभूमि ईश प्रकाशना की भूमि है, वह भूमि जहाँ प्रभु ख्रीस्त ने जन्म लिया, जीवन यापन किया, क्रूस पर मरे तथा जी उठे। उन्होंने कहा कि हम ऐसा सोच भी नहीं सकते कि बेथलेहेम या प्रभु ख्रीस्त की पवित्र समाधि संग्रहालय मात्र बन कर रह जाये।"
एक ईश्वर में विश्वास करनेवाले यहूदी, इस्लाम एवं ख्रीस्तीय धर्मों के बीच एकता का आह्वान करते हुए कार्डिनल महोदय ने कहा कि अब्राहम की सन्तान होने का अर्थ है भविष्य को आशा भरी दृष्टि से देखना। अस्तु, यहूदी, इस्लाम एवं ख्रीस्तीय धर्मों को आशा के सन्देश वाहक बनना चाहिये ताकि पवित्रभूमि तीनों धर्मों के सहमिलन का स्थल बन सके। वार्ताओं को जारी रखते हुए सत्य की खोज में आगे बढ़ते रहने को कार्डिनल तौराँ ने अनिवार्य बताया।








All the contents on this site are copyrighted ©.