कोर उन्नुम के अध्यक्ष का कहना- कलीसिया के साथ सामुदायिकता परोपकार का आधार
रोम, 15 जुलाई सन् 2011 (जेनिथ)- संत पापा के उदारता और परोपकार कार्यों का समन्वयन करनेवाली
परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल रोबर्ट साराह ने इस समिति की स्थापना की 40 वर्षगाँठ
के अवसर पर स्मरण किया कि यह समाज सेवा से बढ़कर उदारता के साक्षी बनना है, यह होने की
एक अवस्था है। कोर उन्नुम परमधर्मपीठीय समिति की स्थापना 15 जुलाई 1971 को संत पापा पौल
षष्टम ने " अमोरिस उफिचियो " पत्र से की थी।
कार्डिनल साराह ने कहा कि 40 वीं
वर्षगाँठ यह समारोह महत्वपूर्ण है कि हम उन तथ्यों पर गौर करें कि यह समिति कलीसिया के
लिए कैसी रही है तथा आज की प्रमुख चुनौतियां क्या क्या हैं। उन्होंने कहा कि कोर उन्नुम
की स्थापना कोई आकस्मिक घटना नहीं थी। यह कलीसिया की सामुदायिकता है जो उदारतापूर्ण साक्ष्य
की आधारशिला है। यह कलीसिया में सामुदायिकता है जहाँ एक शरीर के विभिन्न सदस्यों को पारस्परिक
देखभाल की भावना में पोषण प्राप्त होता है।
कार्डिनल साराह ने कहा कि कलीसिया
की सामुदायिकता के प्रति आभारी हैं जहाँ मनोरथों की एकता और विश्व भर में उनकी सार्वभौमिक
उपस्थिति को बरकरार ऱखा जाता है। उन्होंने कहा कि उदारता का साक्ष्य देने का पैमाना
ख्रीस्त में है। न्याय की खोज उदारता के कर्तव्य को, सुसमाचार प्रचार के काम को समाप्त
नहीं कर देती लेकिन उदारतापूर्ण गतिविधि का अंतरंग हिस्सा है। सन् 1978 में ही संत पापा
जोन पौल द्वितीय ने सुसमाचार और परोपकार के मध्य संबंध पर जोर दिया था।