वाटिकन सिटी, 6 जुलाई, 2011(सीएनए) वाटिकन प्रवक्ता फेदेरिको लोमबारदी ने संत पीयुस दसवें
धर्मसमाज द्वारा अभिषिक्त 20 पुरोहितों के अभिषेक को अवैध कहा है। जेस्विट फादर लोमबारदी
ने उक्त बातें उस समय कहीं जब 5 जुलाई को एक प्रेस सम्मेलन में वे सीएनए के एक प्रश्न
का उत्तर दे रहे थे। उन्होंने कहा कि संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने इस बात को कई
बार दुहराया है कि जब तक किसी समाज को कलीसिया द्वारा " कैनोनिकल " दर्ज़ा प्राप्त नहीं
हो इसके अधिकारियों के स्वतंत्र निर्णयों को वैध नहीं माना जा सकता है। वाटिकन प्रवक्ता
ने इस बात को भी स्पष्ट किया कि धर्मसमाज को " कैनोनिकल " दर्ज़ा तब तक नहीं मिल सकता
है जबतक कि इसके सैद्धांतिक मुद्दे स्पष्ट नहीं कर दिये जाते। विदित हो कि संत पीयुस
दसवाँ समाज एक परंपरावादी धर्मसमाज है जिसकी स्थापना सन् 1970 ईस्वी में हुई। इसके संस्थापक
धर्माध्यक्ष मारसेल लेफेवरे हैं। सन् 1988 ईस्वी में इस धर्मसमाज का संबंध वाटिकन
से उस समय ख़राब हो गया जब धर्माध्यक्ष लेफेवरे ने तत्कालीन संत पापा जोन पौल द्वितीय
की अनुमति के बग़ैर चार धर्माध्यक्षों का अभिषेक कर दिया। इस कृत्य को वाटिकन ने विधर्मिक
माना था। यह भी विदित हो कि संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने सन् 2009 में इन चारों
धर्माध्यक्षों पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया पर धर्मसमाज ने काथलिक कलीसिया के साथ वाटिकन
द्वितीय महासभा से जुड़े अपने सैद्धांतिक मतभेदों को दूर नहीं किया। विगत दिनों धर्मसमाज
ने स्वीटज़रलैंड, जर्मनी और अमेरिका में पुरोहितों का अभिषेक सम्पन्न करा दिया। 17
जून को सम्पन्न अभिषेक समारोह में उपदेश देते हुए संत पीयुस धर्म समाज के सुपीरियर जेनरल
धर्माध्यक्ष बेर्नार्ड फेले ने वाटिकन पर समाज के साथ समझौता करने में आनाकानी बरतने
और स्थिरता की कमी का आरोप लगया। फादर लोमबारदी ने बताया कि संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें
चाहते हैं कि काथलिक कलीसिया और संत पीयुस दसवें धर्मसमाज के बीच का मुद्दा शीघ्र सुलझ
जाये। उन्होंने बताया कि संत पापा ने सन् 2007 में त्रिदेनताईन विधि से मिस्सा पूजा
करने अनुमति देकर इस बात की उम्मीद की थी इससे दोनों के बीच ‘आंतरिक समझौता’ हो पायेगा
पर ऐसा नहीं पाया है।