भोपाल, पाँच जुलाई, सन् 2011 (कैथन्यूज़): भोपाल के महाधर्माध्यक्ष लियो कॉरनेलियो ने
कहा है कि सरकार को शिक्षा एवं राजनीति के साथ धर्म को नहीं मिलाना चाहिये।
कलीसिया
की मांग को समर्थन देते हुए महाधर्माध्यक्ष कॉरनेलियो ने कहा कि सरकार को अकादमी वर्ष
के पाठ्यक्रम में एक धर्म की शिक्षा के बजाय सभी धर्मों के सार की शिक्षा को शामिल करना
चाहिये।
स्कूलों में अकादमी वर्ष 2011-2012 के दौरान हिन्दु धर्मग्रन्थ भगवत्
गीता को पाठ्यक्रम में शामिल करने के सरकार के निर्णय के उपरान्त कलीसियाई नेताओं ने
अपनी मांग रखी।
महाधर्माध्यक्ष महोदय ने कहा कि शिक्षण संस्थाओं द्वारा, धर्मनिरपेक्ष
राष्ट्र में, किसी एक धर्म को प्रोत्साहन देना ग़लत है। उन्होंने कहा कि धर्म को शिक्षा
एवं राजनीति के साथ मिलाने के दीर्घकालीन दुष्परिणाम होंगे।
उन्होंने आरोप लगाया
कि मध्यप्रदेश सरकार अनवरत अल्पसंख्यकों एवं उनके मुद्दों की उपेक्षा करती रही है और
अब बहुसंख्यकों के धर्म को उनपर थोप रही है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि कलीसिया
सब धर्मों के नीतिवचनों की शिक्षा प्रदान करने के विरुद्ध नहीं है किन्तु केवल एक धर्म
की शिक्षा प्रदान करने का वह विरोध करती है।
ग़ौरतलब है कि जब मध्यप्रदेश के
मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने स्कूली पाठ्यक्रम में उक्त धर्मग्रन्थ की शिक्षा को शामिल
करने की घोषणा की थी तब सभी अल्पसंख्यक समुदाय यानि ख्रीस्तीय, मुसलमान एवं सिक्ख समुदायों
ने इसका जमकर विरोध किया था। उनका कहना था कि यह देश की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति के विरुद्ध
होगा।