2011-07-04 12:13:42

वाटिकन सिटीः विश्व में व्याप्त भुखमरी पर सन्त पापा ने एफ.ए.ओ. को किया सम्बोधित


वाटिकन सिटी, 4 जुलाई, सन् 2011 (सेदोक): संयुक्त राष्ट्र संघ एवं अन्य विशेषज्ञों द्वारा प्रकाशित आँकड़ों का हवाला देकर सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कहा कि वैश्विक खाद्य उत्पादन सम्पूर्ण विश्व की जनसंख्या के भरण पोषण में सक्षम है किन्तु "अहंकार और स्वार्थ" की वजह से लाखों लोगों को उनका दैनिक आहार नहीं मिल पाता है।

शनिवार को, संयुक्त राष्ट्र संघीय खाद्य और कृषि संगठन के 37 वें सत्र के प्रतिभागियों ने, वाटिकन में, सन्त पापा से मुलाकात की थी। इस अवसर पर प्रतिभागियों को सम्बोधित शब्दों में सन्त पापा ने कहा, "ग़रीबी, अल्प विकास और भुखमरी प्रायः मानव हृदय से निकलने वाले अहंकारी व्यवहार का परिणाम हैं जो सामाजिक कार्यों, आर्थिक विनिमय, बाज़ार की स्थितियों, भोजन की कमी आदि में प्रकट होता तथा पोषित होने एवं भुखमरी से मुक्त होने सम्बन्धी सभी व्यक्तियों के प्राथमिक अधिकार के हनन में अनुदित होता है।"

इस बात पर उन्होंने गहन चिन्ता व्यक्त की कि "खाना भी अटकलों की एक वस्तु बन गया है तथा कानूनों से वंचित, नैतिक सिद्धांतों में कमज़ोर एवं लाभ के लक्ष्य की ओर ही भागते वित्तीय बाजार में परिवर्तन से जुड़ गया है।"

सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने ऐसे विकास निकाय का आह्वान किया जो वास्तविक बिरादरी एवं भागीदारी ला सके। उन्होंने कहा कि हर विकास निकाय में, प्रत्येक मनुष्य के हृदय में अंकित करुणा एवं मानवता के भावों को जगाने की क्षमता होनी चाहिये ताकि "भूखों को भोजन कराना" सभी अपना नैतिक दायित्व मानें।

उन बच्चों की दुर्दशा की ओर बेनेडिक्ट 16 वें ने ध्यान आकर्षित कराया जो समय से पहले मर जाया करते हैं, अथवा जिनका शारीरिक एवं मानसिक विकास केवल इसलिये रुक जाता है कि उन्हें न्यूनतम पौष्टिक आहार नहीं मिल पाता है।

कृषि से अपनी जीविका कमानेवाले ग्रामीण लोगों के विकास पर भी ध्यान देने का सन्त पापा ने आग्रह किया और कहा कि ग्रामीण परिवार केवल श्रम का ही नहीं अपितु जीवन का भी आदर्श है जहाँ एकात्मता के ठोस उदाहरण देखे जा सकते तथा महिलाओं की भूमिका के महत्व को परखा जा सकता है।








All the contents on this site are copyrighted ©.