2011-06-30 16:23:08

तीन ईशशास्त्रियों को संत पापा ने रात्सिंगर पुरस्कार प्रदान किया


(वाटिकन सिटी 30 जून सेदोक वी आर वर्ल्ड) संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने गुरूवार 30 जून को वाटिकन स्थित क्लेमेंतीन सभागार में आयोजित समारोह में तीन ईशशास्त्रियों को रात्सिंगर पुरस्कार प्रदान किया। यह योजना जोसेफ रात्सिंगर बेनेडिक्ट 16 वें वाटिकन फाउंडेशन की है जिसके लिए धन की व्यवस्था संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा लिखित पुस्तकों से मिलने वाली रायल्टी से की गयी है। रात्सिंगर पुरस्कार की स्थापना पिछले साल की गयी ताकि संत पापा के लेखों पर ईशशास्त्रीय अध्ययन को बढ़ावा मिले और प्रतिभा सम्पन्न शोध छात्रों को पुरस्कार प्रदान किया जा सके। इस वर्ष पुरस्कार पानेवाले तीन विजेता हैं- रोम स्थित ला सापियेन्सा विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर 85 वर्षीय मानलियो सिमोनेत्ती वे कलीसियाई धर्माचार्यों के लेखों के विशेषज्ञ हैं। तथा रोम स्थित अगुस्तीनियन इंस्टीच्यूट फोर स्टडीस इन पाटरिस्टीक में अध्यापन करते हैं। दूसरे पुरस्कार विजेता हे 77 वर्षीय ओलगारियो गोंजालवेज दे कारदेदाल वे स्पेन स्थित पोंटिफिकल यूनिवर्सिटी ओफ सालामांका में डोगमैटिक थियोलोजी पढ़ाते हैं तथा तीसरे पुरस्कार विजेता हैं 50 वर्षीय हेइलेगेनक्रुज के सिस्टरसियन मठवासी पुरोहित फादर माक्सीमिलियन हेम जो डोगमैटिक और फंडामेंटल थियोलोजी पढ़ाते हैं उन्होंने अपने शोध काम को मुख्य रूप से प्रोफेसर जोसेफ रातसिंगर के काम पर केन्द्रित रखा है।

पुरस्कार समारोह में फादर हेम ने कहा कि ईशशास्त्री के लिए अनोखी आजादी है कि ईशशास्त्री रूप में हम निर्भय होकर सत्य की खोज करने के लिए स्वतंत्र हैं। यह ईशशास्त्री नहीं है जो सत्य बनाता है लेकिन सत्य ईशशास्त्री को बनाता है। यही शीर्षक संत पापा के संदेश में निहित था।

संत पापा ने कहा कि यदि ख्रीस्त शब्द, सत्य हैं तब मानव को चाहिए कि वह अपने शब्द, तर्क को उनके साथ संयुक्त करे। ख्रीस्त तक पहुँचने के लिए एक व्यक्ति को सत्य के पथ पर होना होगा, उसे शब्द, सत्य, रचनात्मक तर्क के लिए खुला होना होगा जहाँ से मानव का तर्क लिया जाता और जिसकी ओर यह प्रवृत्त होता है। संत पापा ने कहा कि यहाँ से एक व्यक्ति यह देख सकता है कि ईसाई विश्वास अपनी प्रकृति के द्वारा ईशशास्त्र को उत्पन्न करे, विश्वास की तार्किकता की जाँच करे, तर्क की अवधारण और विज्ञान के विभिन्न पहलुओं को अपनाये ताकि विश्वास और तर्क की जोड़ने की ठोस प्रकृति की सदा खोज हो सके और होती रहे ।








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