2011-06-27 15:37:16

देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा द्वारा दिया गया संदेश


श्रोताओ संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार 26 जून को संत पेत्रुस बासिलिका के प्रांगण में देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व इताली भाषा में सम्बोधित करते हुए कहाः

अतिप्रिय भाईयो और बहनो,

आज इटली और अन्य देशों में येसु ख्रीस्त के शरीर और रक्त का, यूखरिस्त का, प्रभु के शरीर और रक्त के संस्कार का समारोही पर्व मनाया जा रहा है जिसकी स्थापना येसु ने अंतिम ब्यालू के समय की थी और जो कलीसिया की सबसे अनमोल निधि है। यूखरिस्त धड़कते दिल के समान है जो कलीसिया के रहस्यमय शरीर को जीवन देता है- कलीसिया, सामाजिक संगठन जिसकी स्थापना पूर्ण रूप से आध्यात्मिक नींव पर की गयी और ख्रीस्त के साथ इसका ठोस संबंध है। जैसा कि प्रेरित संत पौलुस कुरिंथियों को लिखे पहले पत्र के 10 वें अध्याय के 17 वें पद में कहते हैं- रोटी तो एक ही है, इसलिए अनेक होने पर भी हम एक हैं क्योंकि हम सब एक ही रोटी के सहभागी हैं।

यूखरिस्त के बिना कलीसिया का अस्तित्व नहीं रह सकता है। यह यूखरिस्त ही है जो वस्तुतः मानव समुदाय को सहभागिता का रहस्य बनाता है, जो ईश्वर को संसार के पास तथा संसार को ईश्वर के पास ले जाने में सक्षम है। पवित्र आत्मा, जो दाखरस और रोटी को ख्रीस्त के शरीर और रक्त में बदल देता है, ख्रीस्त के शरीर के सदस्यों को बदल देता है जो इसे विश्वासपूर्वक ग्रहण करते हैं, कलीसिया, वास्तव में ईश्वर के साथ मानव का और लोगों का एक दूसरे के साथ, एकता का संस्कार है।

ऐसी संस्कृति में जो बहुत अधिक व्यक्तिवादी है जैसा कि पाश्चात्य समाज इसमें डूबा है और जो संसार में फैल रही है, यूखरिस्त, एक प्रकार का प्रतिकारक जैसा है जो विश्वासियों के मन और दिल में काम करता है तथा निरंतर उनमें सहभागिता, सेवा, शेयरिंग के तर्क, एक शब्द में कह सकते हैं कि सुसमाचार के तर्क बोता है। येरूसालेम के प्रथम ख्रीस्तीय इस प्रकार के नये जीवन के स्पष्ट चिह्न थे क्योंकि सब विश्वासी एक ह्दय थे। उनके पास जो कुछ था उस में सब का साझा था। यह सब कहाँ से आया ? यूखरिस्त से, अर्थात् पुर्नजीवित ख्रीस्त वास्तव में अपने शिष्यों के साथ उपस्थित थे और पवित्र आत्मा की शक्ति से काम कर रहे थे। और इसके बाद की पीढियों में अनेक सदियों से कलीसिया, मानवीय सीमाओं और त्रुटियों के बावजूद, संसार में सहभागिता या सामुदायिकता की ताकत बने रहना जारी रखी है। हम विचार करते हैं विशेष रूप से उन कठिन कालों का, परीक्षा की अवधियों का, इसका क्या अर्थ है, उदाहरण के लिए – उन देशो में जो तानाशाही प्रशासन के अधीन थे और रविवारीय ख्रीस्तयाग के लिए जमा होने की संभावना। अबीतेने के अनेक प्राचीन शहीदों ने घोषणा की- साइन दोमिनिको नोन पोस्सुमुस- दोमिनिकुम के बिना अर्थात् रविवारीय यूखरिस्त के बिना हम जीवित नहीं रह सकते हैं। लेकिन झूठी आजादी द्वारा उत्पन्न किया गया खालीपन ख़तरनाक हो सकता है और इसलिए ख्रीस्त के शरीर अर्थात चर्च के साथ सामुदायिकता, बुद्धि के लिए दवा तथा सत्य और सामूहिक हित के प्रति रूचि की पुर्नखोज करने के लिए इच्छा शक्ति है।

प्रिय मित्रो, कुँवारी माता मरिया का हम आह्वान करें जिन्हें मेरे पूर्वाधिकारी धन्य जोन पौल द्वितीये ने यूखरिस्तीय महिला कहकर परिभाषित किया था। उनके विद्यालय में हमारा जीवन भी पूरी तरह यूखरिस्तीय बन जाता है ईश्वर तथा अन्यों के लिए खुला, प्रेम की शक्ति से बुराई को भलाई में बदलने में सक्षम जो एकता, सामुदायिकता और बंधुत्व को बढ़ावा देता है।

इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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