काहिराः धार्मिक भवनों पर मिस्र का सन्देहजनक कानून, ख्रीस्तीय जनता में आशंका
काहिरा, 22 जून सन् 2011 (एशियान्यूज़): मिस्र के सुरक्षा बलों की समिति द्वारा, नये
धार्मिक भवनों को नियमित करने हेतु प्रस्तावित नवीन कानून उलझन में डालने वाला है। देश
के अल्पसंख्यक ख्रीस्तीयों के लिये यह विश्वासमन्द नहीं हैं तथा इन्होंने इस पर स्पष्टीकरण
मांगा है।
मिस्र की काथलिक कलीसिया के प्रवक्ता फादर ग्राईख रफ़ीक ने एशिया समाचार
से कहा कि प्रस्तावित नवीन कानून में कई असंगतियाँ हैं तथा कम से कम तीन बिन्दुओं पर
प्रारूप के पुनरावलोकन की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि प्रारूप में कहा गया
है कि पहले से निर्मित धार्मिक भवन से, नये भवन को, कम से कम, एक किलो मीटर की दूरी पर
होना चाहिये किन्तु इस्लाम एवं अल्पसंख्यकों के बीच भेद नहीं किया गया है, मसलन प्रारूप
में कॉपटिक चर्च, प्रॉटेस्टेण्ट चर्च और काथलिक चर्च को अलग अलग नहीं दर्शाया गया है।
दूसरा बिन्दु धार्मिक भवन की लम्बाई चौड़ाई है जिसे कम से कम 1000 वर्ग मीटर
का होना अनिवार्य है। फादर राईख ने कहा कि ख्रीस्तीय कलीसियाओं के लिये इस प्रकार के
विशालकाय भवन निर्माण हेतु धन जुटा पाना, कठिन ही नहीं, असम्भव है।
तीसरा बिन्दु
धार्मिक भवन के निर्माण हेतु अनुमति का है जो प्रान्तीय अधिकारियों से प्राप्त की जा
सकती है किन्तु अनुमति मिलने के लिये अनिवार्य मापदण्डों का प्रारूप में कोई विवरण नहीं
है। फादर रफ़ीक ने कहा कि, इस सूरत में, कानून का दुरुपयोग एवं शोषण हो सकता है तथा
अल्पसंख्यक ख्रीस्तीय नये गिरजाघरों आदि के निर्माण से वंचित रह सकते हैं।