वाटिकन सिटीः बेनेडिक्ट 16 वें ने यथार्थ पौरोहित्य जीवन व्यतीत किया, प्रवक्ता
वाटिकन सिटी, 21 जून सन् 2011 (ज़ेनित): सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वे के पुरोहिताभिषेक
की 60 वीं वर्षगाँठ पर टीका करते हुए वाटिकन के प्रेस निदेशक फादर फेदरीको लोमबारदी ने
कहा कि सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने यथार्थ पौरोहित्य जीवन व्यतीत किया।
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जून को सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें अपने पुरोहिताभिषेक की 60 वीं वर्षगाँठ मना रहे हैं।
इस उपलक्ष्य में वाटिकन टेलेविज़न के साप्ताहिक कार्यक्रम "ओक्तावा दियेज़" में
फादर लोमबारदी ने बताया कि इस शुभअवसर के लिये याजकवर्ग सम्बन्धी परमधर्मपीठीय धर्मसंघ
ने सम्पूर्ण विश्व के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों से आग्रह किया है कि वे अपने अपने
धर्मप्रान्तों में "पुरोहितों की बुलाहट के लिये धन्यवाद ज्ञापन समारोहों के अतिरिक्त
प्रार्थना सभाओं एवं यूखारिस्त की आराधना समारोहों को प्रोत्साहन दें।"
सन्त पापा
बेनेडिक्ट 16 वें के पौरोहित्य जीवन पर चिन्तन करते हुए उन्होंने कहा कि उनका जीवन यथार्थ
पुरोहित का जीवन रहा है।
उन्होंने कहा, "राटसिंगर को किशोरावस्था में ही बुलाहट
का वरदान मिला तथा केवल द्वितीय विश्व युद्ध के कारण ही उनके गुरुकुल प्रशिक्षण में विघ्न
पड़ा। अपने बड़े भाई और अन्य साथियों के साथ 24 वर्ष की उम्र में वे पुरोहित अभिषिक्त
किये गये।"
फादर लोमबारदी ने कहा कि इन युवाओं का आदर्श 31 वर्षीय युवा पुरोहित
आलोईस आन्द्रीज़की बने जिन्हें सन् 1943 ई. में, दाखाओ के नज़रबन्दी शिविर में मार डाला
गया था तथा कुछ दिनों पूर्व ही जिन्हें धन्य घोषित किया गया है। नज़रबन्दी शिविर में
प्रवेश करते ही वे बोल उठे थेः "हम अपने पौरोहित्य को कदापि नहीं भूलेंगे, एक क्षण के
लिये भी नहीं।"
विगत वर्ष जून माह में पुरोहितों को समर्पित वर्ष के समापन पर
सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा उच्चरित शब्दों को फादर लोमबारदी ने याद किया। सन्त
पापा ने कहा था, "हमारी दुर्बलताओं को जानते हुए भी ईश्वर हमें मनुष्यों के बीच अपना
प्रतिनिधि बनने के क़ाबिल मानते हैं और यही वास्तव में पौरोहित्य या पुरोहितिक जीवन का
वैभव है।"
फादर लोमबारदी ने कहा कि सन्त पापा के हृदय की अतल गहराई से प्रस्फुटित
उक्त शब्द दीर्घ काल से अर्जित एवं निष्ठापूर्वक सिंचित कृपा के व्यक्तिगत अनुभव का परिणाम
हैं।