2011-06-17 19:01:49

पंचवर्षीय पारम्परिक मुलाकात कर चुके भारत के धर्माध्यक्षों के लिए संत पापा का संदेश


(वाटिकन सिटी 17 जून सेदोक) संत पापा ने पंचवर्षीय पारम्परिक मुलाकात सम्पन्न कर चुके भारत से आये धर्माध्यक्षों को 17 जून को सामूहिक रूप से सम्बोधित कर अपना संदेश दिया। महाधर्माध्यक्ष मल्लायापन चिन्नप्पा द्वारा उपस्थित धर्माध्यक्षों की ओर से कहे गये हार्दिक सम्बोधन के लिए धन्यवाद देते हुए संत पापा ने सब पुरोहितों, धर्मसमाजियों और लोकधर्मियों को शुभकामनाएँ दीं और प्रार्थनामय सामीप्य का आश्वासन प्रदान किया।

उन्होंने भारत में कलीसिया के जीवन पर चिंतन प्रस्तुत करते हुए धर्माध्यक्षों की जिम्मेदारियों तथा सुसमाचार प्रचार के लिए उनके कर्तव्यों पर अपने विचार प्रस्तुत किये। संत पापा ने धर्माध्यक्षों को स्मरण कराया कि ईशप्रजा के मेषपाल रूप में उनका आह्वान किया गया है कि वे स्थानीय कलीसिया को शिक्षा दें, पवित्र करें तथा उनका संचालन करें। इस महत्वपूर्ण काम में धर्माध्यक्ष की भूमिका, मेषपाल और पिता के समान अपनी रेवड़ के सबलोगों को संयुक्त कर एक परिवार समान बनाना है जहाँ वे अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के प्रति सजग हों तथा एक दूसरे के प्रति उदारता में जीवन जीयें। उन्होंने कहा कि कलीसिया की एकता ईश्वर के एकत्व तथा प्रेरितिक कलीसिया के एक, पवित्र और काथलिक होने का सशक्त साक्ष्य है। कलीसिया की एकता का प्रसार करना धर्माध्यक्ष की प्रमुख जिम्मेदारियों में से एक है। पवित्र आत्मा सब ख्रीस्तीयों को विश्वास, आशा और उदारता के बंधन में संयुक्त करना चाहते हैं।

संत पापा ने धर्माध्यक्षों को प्रोत्साहन दिया कि वे कलीसिया में एकता बढाने तथा अपने जीवन और उदाहरण से लोगों को गहन सामुदायिकता, भ्रातृत्व और शांति के पथ पर चलने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते रहें। उन्होंने धर्माध्यक्ष और पुरोहितों के परस्पर संबंध और सहयोग पर विशेष जोर देते हुए कहा कि धर्माध्यक्षगण पुरोहितों की जरूरतों और आकांक्षाओं के प्रति सजग रहते हुए उनके आध्यात्मिक, बौद्धिक और भौतिक कल्याण के लिए उत्कंठा दिखायें। भ्रातृत्वमय प्रेम और परस्पर चिंता आधार हो जो किसी भी प्रकार के तनाव को दूर करे तथा उन परिस्थितियों का निर्माण करे जो ईशप्रजा की सेवा के उपयुक्त है तथा आध्यात्मिक रूप से अच्छा नमूना प्रस्तुत करते हुए उन्हें ईश्वर की संतान होने की प्रतिष्ठा के प्रति सजग बनाये।

संत पापा ने कहा कि धर्माध्यक्षों तथा पुरोहितों के मध्य परस्पर प्रेम और सेवा तथा जाति या वंश का भेदभाव किये बिना ईश्वर के प्रेम पर केन्द्रित रहते हुए सुसमाचार का प्रसार और कलीसिया का पवित्रीकरण उन विश्वासियों की इच्छा है जिनकी वे सेवा करते हैं। लोक धर्मी विश्वासी पुरोहितों और धर्माध्यक्षों को पवित्रता, मित्रता और सौहार्द का मोडल के रूप में देखते हैं जो उनके दिलों का स्पर्श करते तथा अपने जीवन उदाहरण द्वारा सिखाते हैं कि प्रेम के नये आदेश को कैसे जीएं। संत पापा ने कहा कि धर्मसमाजी उनकी और मार्गदर्शन और सहायता के लिए देखते हैं। येसु ख्रीस्त तथा कलीसिया के प्रति उनके गहन प्रेम का साक्ष्य उन्हें प्रोत्साहन देगा कि वे पूरी निर्धनता, ब्रह्मचर्य और आज्ञाकारिता के साथ उस जीवन के लिए स्वयं को समर्पित कर दें जिसके लिए वे बुलाये गये हैं। धर्माध्यक्षों के विश्वास, जीवन उदाहरण और ईश्वर पर विश्वास के द्वारा वे भी निस्वार्थ समर्पण में पुष्टि पायेंगे।

संत पापा ने कहा कि समर्पित जीवन का साक्ष्य कलीसिया के लिए निधि है। उन्होंने धर्माध्यक्षों को प्रोत्साहन दिया कि वे धर्मप्रांतों में धर्मसमाजों और धर्मसंघों के सुपीरियरों के साथ निकट सहयोग करें ताकि धर्मसमाजी स्त्रियों और पुरूषों को अपने विशिष्ट कैरिज्म सहित पुरोहितों और लोकधर्मियों के साथ सामंजस्यपूर्ण जीवन जीने में सहायता मिले। इसके लिए संत पापा ने सतत प्रशिक्षण द्वारा यह सुनिश्चित किये जाने का आह्वान किया ताकि धर्मसमाजियों को ठोस मानवीय, आध्यात्मिक और ईशशास्त्रीय आधार मिले जो उन्हें अपने समर्पित जीवन के सब पहलूओं में प्रौढ़ बनने में मदद करेगी। विभिन्न प्रेरितिक सेवाओं के कारण उनका कैरिज्म सम्पूर्ण कलीसियाई समुदाय को मजबूत करते हुए व्यापक समाज को समृद्ध बनायेगा।

संत पापा ने भारत की कलीसिया में अनेक महिला धर्मसमाजों के योगदान की विशिष्ट रूप से सराहना व्यक्त करते हुए कहा कि वे कलीसिया की पवित्रता, जीवंतता और आशा का साक्ष्य देती हैं। वे प्रार्थना और विभिन्न प्रकार के भले कार्य़ों द्वारा जो बहुधा अप्रत्यक्ष होते हैं, तथापि इनके द्वारा ईश्वर के राज्य का निमार्ण करने में महान योगदान देती हैं।

संत पापा ने धर्माध्यक्षों को परामर्श दिया कि वे ईश्वर के प्रेम और अन्यों की सेवा द्वारा अर्थपूर्ण जीवन जीने के लिए युवा महिलाओं को प्रोत्साहन दें। अंत में संत पापा ने कुँवारी माता मरिया की मध्यस्थता और सहायता की कामना करते हुए धर्माध्यक्षों को प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








All the contents on this site are copyrighted ©.