2011-06-14 12:08:14

कोलकाताः काथलिक पुरोहित ब्रह्मचर्य जीवन पर बल देंगे


कोलकाता, 14 जून सन् 2011 (कैथन्यूज़): पूर्वी भारत में सेवारत काथलिक पुरोहितों ने "स्वस्थ सीमाएँ" निर्धारित करने का निर्णय लिया है ताकि वे अर्थपूर्ण ब्रह्मचर्य जीवन व्यतीत कर सकें।

कोलकाता के निकटवर्ती बारासात नगर में 7 से 10 जून तक ब्रह्मचर्य जीवन की चुनौतियाँ शीर्षक से आयोजित एक कार्यशिविर में बिहार, झारखण्ड, उड़ीसा तथा पश्चिम बंगाल के 20 धर्मप्रान्तों के लगभग 35 पुरोहितों ने भाग लिया।

कार्यशिविर में यह सुझाव रखा गया कि हर धर्मप्रान्त अपने पुरोहितों के लिये एक निर्देशिका तैयार करे जो ब्रह्मचर्य जीवन यापन में पुरोहितों की सहायता कर सके।

भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन इस प्रकार के शिविरों का आयोजन अन्य धर्मप्रान्तों में भी करेगा।

सम्मेलन के परिवार आयोग के कार्यकारी सचिव फादर जे. अरुलराज ने बताया कि इस प्रकार के शिविरों का उद्देश्य विश्वव्यपी स्तर पर प्रकाश में आये पुरोहितों के यौन दुराचार एवं बच्चों के विरुद्ध दुराचार के प्रकरणों पर पुरोहितों को प्रशिक्षण देना है।

उक्त कार्यशिविर के आयोजक साईलिशियन धर्मसमाजी पुरोहित फादर जॉनी नेदुनगट्ट ने इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि पल्लियों एवं स्कूलों में पुरोहितों की मुलाकात कमज़ोर लोगों से होती है इसलिये कुछ सीमाओं का निर्धारण आवश्यक है।

उन्होंने कहा, "भले ही अन्य व्यक्ति उत्तेजित करने का प्रयास करें, पुरोहितों का प्राथमिक दायित्व है कि वे अपनी सीमाओं के भीतर रहें।"

विगत 20 वर्षों से युवा पुरोहितों एवं धर्मबहनों को मार्गदर्शन देनेवाले फादर नेदुनगट्ट ने कार्यशिविर के प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे ब्रह्मचर्य को ईश्वर के वरदान रूप में ग्रहण करें तथा इसका उपयोग अन्यों की सेवा हेतु करें।

कार्यशिविर में कुछेक ठोस प्रस्ताव रखे गये मसलन, महिलाओं एवं बच्चों को पुरोहितों के शयन कक्ष में आने की अनुमति न देना, मार्गदर्शन के लिये आनेवालों के कक्ष को कम बन्द अथवा कम निजी बनाना जैसे कक्ष के दरवाज़ों को काँच का रखना ताकि सम्वाद सुने बग़ैर बाहर वाले भीतर देख सकें।








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