2011-06-13 17:38:32

स्वर्ग की रानी आनन्द मना प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा द्वारा दिया गया संदेश


श्रोताओ संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार 12 जून को संत पेत्रुस बासिलिका के प्रांगण में देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को स्वर्ग की रानी आनन्द मना प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व इताली भाषा में सम्बोधित करते हुए कहाः

अतिप्रिय भाईयो और बहनो,

हम आज पेंतेकोस्त का समारोही पर्व मना रहे हैं और इसके साथ ही पास्का पूजनधर्मविधि काल का समापन होता है। वस्तुतः पास्काई रहस्य- ख्रीस्त का दुःखभोग, मृत्यु, पुनरूत्थान तथा स्वर्ग में आरोहण अपनी पूर्णता पाते हैं प्रभु की माँ, मरियम के साथ एकत्रित प्रेरितों तथा अन्य शिष्यों पर पवित्र आत्मा के शक्तिशाली अवतरण पर। यह कलीसिया का बपतिस्मा था, पवित्र आत्मा में बपतिस्मा पाना था।

प्रेरित चरित में इस प्रकार वर्णन किया गया है- जब पेंतेकोस्त का दिन आया और सब शिष्य एक स्थान में इकट्ठे थे, तो अचानक आँधी जैसी आवाज़ आकाश से सुनाई पड़ी और सारा घर, जहाँ वे बैठे हुए थे, गूँज उठा। उन्हें एक प्रकार की आग दिखाई पड़ी जो जीभों में विभाजित होकर उन में हर एक के ऊपर आकर ठहर गयी।

संत ग्रेगोरी महान टिप्पणी करते हैं- आज पवित्र आत्मा एकाएक आवाज़ के साथ शिष्यों पर उतरे और उनके प्रेम ने शरीरधारी मन का पूर्णपरिवर्तन कर दिया और जैसा की जीभों में विभाजित आग दिखाई पड़ी उनके ह्दय इससे आलोकित हो गये। वे आग के दर्शन में ईश्वर को पाकर प्रेम से भर गये।

ईश्वर की आवाज़ ने प्रेरितों की मानवीय भाषा का दिव्यकरण कर दिया जो पवित्र आत्मा द्वारा प्रदत्त वरदान के अनुसार भिन्न भिन्न भाषाएँ बोलने लगे। लोग अपनी अपनी भाषा में शिष्यों को बोलते सुन रहा था। पवित्र आत्मा की फूँक सम्पूर्ण विश्व को भर देता है, विश्वास उत्पन्न करता, सत्य लाता तथा राष्ट्रों को एकता के लिए तैयार करता है- बहुत से लोग यह आवाज़ सुनकर एकत्र हो गये, वे विस्मित थे क्योंकि हरएक अपनी-अपनी भाषा में शिष्यों को ईश्वर के महान् कार्यों का बख़ान करते सुन रहा था।

धन्य अंतोनियो रोसमिनी व्याख्या करते हैं- ख्रीस्तीय पेंतेकोस्त के दिन ईश्वर ने अपने प्रेम का विधान दिया जो पवित्र आत्मा के द्वारा पत्थरों की पाटी पर नहीं लेकिन प्रेरितों के ह्दयों में लिखा गया और प्रेरितों के द्वारा सम्पूर्ण कलीसिया को बताया गया। पवित्र आत्मा, जो प्रभु और जीवन का दाता हैं, जैसा कि हम धर्मसार में कहते हैं- यह पुत्र के द्वारा पिता से संयुक्त है और पवित्रतम त्रित्व के प्रकटन को पूरा करता है। वे ईश्वर से आते हैं उनके मुख से निकली श्वाँस के समान तथा इसमें पवित्र करने, विभाजन को समाप्त करने तथा पाप द्वारा लाये गये भ्रम को दूर करने की शक्ति है। वे अभौतिक और अशरीरधारी, दिव्य वस्तुओं के दाता हैं, वे मानव की सहायता करते हैं ताकि वह भलाई के सुसंगत काम करे। वे प्रकाश हैं जो प्रार्थना को अर्थ प्रदान करते हैं, वे सुसमाचार प्रचार मिशन को उत्साह प्रदान करते हैं, वे उन हृदयों को जोश से भर देते हैं जो शुभ समाचार सुनते हैं, वे ख्रीस्तीय कला और पूजनधर्मविधि संगीत को प्रेरणा प्रदान करते हैं।

प्रिय मित्रो, पवित्र आत्मा जो हमारे बपतिस्मा के समय हम में विश्वास की रचना करते हैं, हमें एकमात्र शरीरधारी पुत्र की छवि के अनुसार ईश्वर की संतान के समान जीवन जीने की अनुमति प्रदान करते हैं जो सजग और आज्ञाकारी है। पाप को छोड़ने या क्षमा करने की शक्ति भी पवित्र आत्मा का उपहार है। वस्तुतः पास्का रात्रि को प्रेरितों को दिखाई देते हुए येसु उनपर फूँककर कहते हैं- पवित्र आत्मा को ग्रहण करो, तुम जिन लोगों के पाप क्षमा करोगे, वे अपने पापों से मुक्त हो जायेंगे। हम कलीसिया को कुँवारी मरियम पवित्र आत्मा के मंदिर के सिपुर्द करते हैं ताकि वह हमेशा येसु ख्रीस्त के अनुसार जीवन जीये उनके वचन, और उनके आदेश तथा पवित्र आत्मा के सतत कार्यों द्वारा वह हमेशा सबलोगों के लिए उदघोषणा करे कि येसु ही प्रभु हैं।

इतना कहने के बाद संत पापा ने स्वर्ग की रानी आनन्द मना प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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