2011-06-06 12:28:19

केरलः नास्तिकतावाद एवं अन्तर-धार्मिक घृणा को प्रश्रय देनेवाली पुस्तक के विरुद्ध काथलिक पुरोहित


तिरुवनन्तपुरम, 6 जून सन् 2011 (एशियान्यूज़): नास्तिकतावाद एवं अन्तर-धार्मिक घृणा को प्रश्रय देनेवाली पाठ्य पुस्तक के विरुद्ध केरल के एक काथलिक पुरोहित ने अपनी आवाज़ बुलन्द की है।

एशिया समाचार से बातचीत में सिरोमलाबार चर्च के प्रवक्ता फादर पौल थेलाकट ने कहा कि केरल के माध्यमिक स्कूलों की दसवीं कक्षा में इस्तेमाल की जानेवाली पाठ्यपुस्तक नास्तिकतावाद, साम्यवाद और अंतर-धार्मिक घृणा को बढ़ावा देती है।

"भारत और समकालीन विश्व" शीर्षक के अन्तर्गत प्रकाशित सामाजिक विज्ञान की पाठ्य पुस्तक केरल के स्कूलों में दसवीं कक्षा के छात्रों को पढ़ाई जा रही है।

ग़ौरतलब है कि विगत दस वर्षों से केरल राज्य में साम्यवादी पार्टी सत्ता में रही थी।

काथलिक साप्ताहिक पत्रिका "ज्ञान दीपिका" के सम्पादक एवं सिरोमलाबार चर्च के प्रवक्ता फादर पौल थेलाकट ने इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि उक्त पुस्तक के कई अध्यायों में इतिहास की मार्क्सवादी व्याख्या की गई है। उदाहरणार्थ, सोवियत संघ के पतन के बारे में कहा गया है कि कुछ साम्यवादियों के बुनियादी सिद्धांतों से हट जाने के कारण इसका पतन हुआ। फादर ने कहा कि इसका यह अर्थ हुआ कि साम्यवादी विचारधारा के मूल सिद्धान्तों में कोई त्रुटि नहीं है। फादर थेलाकट ने कहा कि किसी भी पाठ की अलग अलग व्याख्या होती है किन्तु क्या इस तरीके की व्याख्याओं से भरी पुस्तक को एक प्रजातांत्रिक, बहुधार्मिक, स्वतंत्र एवं धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र की पाठ्यपुस्तक बनाया जा सकता है?

फादर ने अपना विरोध जारी करते हुए कहा कि उक्त पुस्तक पुनर्जागरण काल को ग्रीक रोमी संस्कृतियों का पुनर्जन्म बताती है और दावा करती है कि इनपर सामंतियों एवं काथलिक चर्च ने निषेध लगाया था। किन्तु, फादर ने कहा कि काथलिक चर्च ग्रीक और रोमी संस्कृति का महान समर्थक रहा है। उन्होंने कहा कि ग्रीक दर्शन की भाषा में ही ख्रीस्तीय धर्म की विचारधाराओं को अभिव्यक्ति मिली। प्लेटो, अरस्तु और प्लोटिनुस ने भी कलीसिया से समर्थन प्राप्त किया। शताब्दियों के अन्तराल में रोमी कानून चर्च का कानून बन गया। माईकिल आन्जेलो ने वाटिकन के विख्यात सिस्टीन प्रार्थनालय में ख्रीस्तीय एवं बाईबिल सम्बन्धी चित्रों सहित ग्रीक सिबिल्स यानि महिला नबियों या भविष्यसूचक नारियों के चित्र भी अंकित किये। फादर ने प्रश्न किया कि इस पृष्टभूमि के मद्देनज़र यह कैसे कहा जा सकता है कि कलीसिया ग्रीक संस्कृति के विरुद्ध है?
फादर थेलाकट के अनुसार उक्त पाठ्य पुस्तक पिछले दस वर्षों से सत्ता में रही साम्यवादी पार्टी के विचारों से प्रभावित है। मार्च माह में काँग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट ने साम्यवादी पार्टी को हराकर सत्ता हाथ में ली है।

फादर ने कहा कि काथलिक कलीसिया किसी भी राजनैतिक दल की तरफदारी नहीं करती किन्तु वह उन सभी नीतियों का खण्डन करेगी जो लोगों के विरुद्ध हैं तथा भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती हैं।

फादर थेलाकट ने कहा कि भावी पीढ़ी का भविष्य शिक्षा पर निर्भर है अतः कलीसिया उत्तम एवं गुणकारी शिक्षा प्रदान करने की स्वतंत्रता चाहती है ताकि मानवजाति और, विशेष रूप से, निर्धनों एवं हाशिये पर जीवन यापन करनेवालों के विकास में योगदान दे सके।








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