2011-06-03 16:25:13

सूडान में कलीसियाई अधिकारियों द्वारा अबेयेई क्षेत्र पर गतिरोध समाप्त करने का आग्रह


(जूबा दक्षिणी सूडान सीएनएस) सूडान में काथलिक और आंगलिकन कलीसियीई नेताओं ने सरकारों से आग्रह तिया है कि अबेयेई के आसपास के विवादित क्षेत्र पर जारी गतिरोध को समाप्त करें तथा सैकड़ो हजारों लोगों के पुर्नवास की अनुमति प्रदान करें जो हाल की हिंसा के कारण विस्थापित हो गये हैं। काथलिक न्यूज सर्विस को पहली जून को भेजे गये वक्तव्य में कलीसियाई अधिकारियों ने सरकारों से माँग की है कि संघर्ष विराम के लिए अविलंब संकेन्द्रित प्रयास करें तथा अबेयेई क्षेत्र से उत्तरी सेना को हटायें ताकि निरपेक्ष सैन्य बल की तैनाती की जा सके, विस्थापितों को सुरक्षित और त्वरित पुर्नवास की सुविधा मिल सके तथा यथार्थ और दीर्घकालीन शांति समझौते के लक्ष्य के लिए काम किया जा सके। वक्तव्य में जूबा के महाधर्माध्यक्ष पाउलिनो लुकुदो लोरो और सूडान में एपिस्कोपल चर्च के धर्माधिकारी महाधर्माध्यक्ष दानियल देंग बुल ने हस्ताक्षर किये हैं।
सूडान ने 21 मई को अबेयेई पर कब्जा कर लिया और यह दोषारोपण किया कि उसकी सैन्य टुकड़ियों पर दक्षिण प्रांत द्वारा हमला किया जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ के अधिकारियों के अनुसार हिंसा के कारण कम से कम 60 हजार लोग विस्थापित हुए हैं, उत्तरी सैन्य बल ने घरों में आग लगा दी तथा भाग रहे नागरिकों पर हमले किये। दक्षिण सूडान आधिकारिक रूप से 9 जुलाई को स्वतंत्र देश बन जायेगा इससे कुछेक सप्ताह पूर्व ही हमले और संघर्ष हुए हैं।
दक्षिण सूडान के नागरिकों ने जनवरी माह में सम्पन्न जनमत संग्रह में सूडान से अलग होकर एक नये देश बनाने के पक्ष में मतदान किया था। अबेयेई क्षेत्र दोनों देशों की सीमा पर होगा। इस क्षेत्र के राजनैतिक भविष्य पर भी जनवरी माह में जनमत संग्रह किया जाना था लेकिन मतदान करने में कौन सक्षम हैं इस बात पर असहमति होने के कारण जनमत नहीं कराया जा सका। सूडान की सरकार ने बल दिया था कि मिसेरिया घुमंतू जाति के लोग सूखे मौसम के समय अनेक माह तक अबेयेई प्रांत में अपनी रेवड़ को चराते हैं अतः उन्हें भी जनमत में भाग लेने दिया जाये लेकिन दक्षिण सूडान सरकार का समर्थन करनेवाले अबेयेई में स्थायी रूप से रहनेवाले दिनका नगोक जनजाति के लोगों ने उक्त माँग को खारिज कर दिया था।








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