(रोम सेदोक) वाटिकन स्थित परमधर्मपीठीय अंतर धार्मिक वार्ता संबंधी समिति और जोर्डन के
अम्मान स्थित रोयल इंस्टीच्यूट फोर इंटरफेथ स्टडीस (आर आई आई एफ एस) की दूसरी बैठक 18
से 19 मई तक रोम में सम्पन्न हुई। बैठक की अध्यक्षता परमधर्मपीठीय अंतर धार्मिक वार्ता
संबंधी समिति के अध्यक्ष कार्डिनल ज्यां लुई तोरान तथा आर आई एफ एस के निदेशक प्रोफेसर
कामेल अबु जाबेर ने की। चर्चा का विषय था- ह्यूमन एंड रेलिजियस वैल्यूस शेयरड बाई क्रिश्चियन्स
एंड मुसलिमस फोर ए कोमन एडुकेशन अर्थात् सामान्य शिक्षा के लिए ईसाईयों और मुसलमानों
द्वारा माने जानेवाले मानवीय और धार्मिक मूल्य.
परमधर्मपीठीय प्रतिनिधिमंडल में
9 सदस्य तथा आर आई आई एफ एस प्रतिनिधिमंडल में 5 सदस्य तथा उनके द्वारा रोम से आमंत्रित
3 सदस्य भी शामिल थे। उपशीर्षक मानवीय शैक्षणिक मूल्यों पर ईसाई परिप्रेक्ष्य को प्रोफेसर
कालोगेरो कालताजिरोने ने जबकि इस्लामिक परिप्रेक्ष्य को डा हनान इब्राहिम ने प्रस्तुत
किया। उपशीर्षक रेलिजियस एडुकेशनल वैल्यूज पर इस्लामिक परिप्रेक्ष्य डा अमेर अल हाफी
ने तथा ईसाई परिप्रेक्ष्य फादर प्रोफेसर चेसारे बिसोली ने प्रस्तुत किया। तीसरे उपशीर्षक
पर ईसाई परिप्रेक्ष्य फादर क्रिस्टोफ रोकाऊ ने जबकि प्रोफेसर साऊद एल मावला ने इस्लामिक
परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत किया।
बैठक के प्रतिभागियों ने निम्नलिखित बिन्दुओं को
रेखांकित किया- मानव जीवन की पवित्र प्रकृति, मानव मर्यादा और मौलिक अहस्तांतरणीय अधिकारों
जैसे बुनियादी मानवीय मूल्यों को ईसाई और मुसलमान मानते हैं। धार्मिक मूल्यों के संदर्भ
में कुछ मूल्य दोनों समुदायों के लिए सामान्य हैं जबकि कुछ मूल्यों में विशिष्टता है।
इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि जो सामान्य रूप से विद्यमान हैं तथा जो भिन्नताएं हैं उन्हें
निर्देशित किया जाये। भिन्नताओं के प्रति सम्मान वास्तव में यथार्थ संवाद के लिए एक महत्वपूर्ण
शर्त है। शिक्षा, विशेष रूप से धार्मिक शिक्षा अस्मिता के संघर्ष या विरोध का कारण नहीं
बनाये लेकिन युवाओँ की सहायता करे कि वे अपनी धार्मिक पहचान में गहरे रूप से जुड़े हों,
यह अन्य पहचानों के निर्माण के लिए समर्थन करे।
सामान्य शिक्षा के स्थल स्कूल,
संस्थाएं और विश्वविद्यालय जो निजी या सार्वजनिक हैं वहाँ ईसाई और मुसलमान बच्चे तथा
युवा एक साथ अध्ययन करें। इस प्रकार का अनुभवों की सराहना कर उन्हें बनाये रखा जाये,
यह मजबूत और स्थायी मित्रता कायम करने के अवसर देती है।
दोनों पक्षों ने दो साल
के अंदर पुनः बैठक करने पर सहमति व्यक्त किया।