2011-05-17 12:06:48

वाटिकन सिटीः वैश्वीकृत विश्व को सुसमाचार की आवश्यकता, सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें


वाटिकन सिटी, 17 मई सन् 2011 (सेदोक): वैश्वीकृत विश्व को नवीन सुसमाचार उदघोषणा की आवश्यकता है तथा यद्यपि आज का परिप्रेक्ष्य 50 वर्ष पूर्व से अलग है तथापि काथलिक कलीसिया की सामाजिक शिक्षा के पास अभी भी सामाजिक असमानता को मिटाने की क्षमता है।

वाटिकन में सोमवार को न्याय एवं शांति सम्बन्धी परमधर्मपीठीय समिति के तत्वाधान में आयोजित अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन के प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने यह बात कही।

सन्त पापा जॉन 23 वें के विश्व पत्र "मात्तेर एत माजिस्त्रा" की 50 वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में उक्त सम्मेलन का आयोजन किया गया था। सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कहा कि उनके पूर्वाधिकारी सन्त पापा जॉन 23 वें की लेखनी आज के युग में भी समसामयिक है।

उन्होंने कहा कि सन्त पापा जॉन 23 वें ने मानव परिवार की सेवा में संलग्न कलीसिया की दृष्टि से कलीसिया की सामाजिक शिक्षा प्रस्तावित की। उन्होंने कहा कि धन्य सन्त पापा जॉन 23 वें के लिये कलीसिया की सामाजिक शिक्षा का प्रकाशस्तम्भ है कलीसिया का सत्य, प्रेम उसकी प्रेरक शक्ति है तथा न्याय उसका लक्ष्य।

उन्होंने कहा कि सत्य, प्रेम और न्याय सहित पदार्थों की विश्वव्यापी नियति का सिद्धान्त वे स्तम्भ हैं जो वैश्वीकृत जगत में उत्पन्न असन्तुलनों का समाधान पाने में सक्षम हैं। सन्त पापा ने कहा कि घोर आर्थिक मन्दी के दौर के बाद एक बार फिर समस्याएँ खड़ी हो रहीं हैं, निर्धन और अधिक निर्धन होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज का सामाजिक प्रश्न निश्चित्त रूप से विश्वव्यापी सामाजिक न्याय से जुड़ा है, यह भौतिक एवं अभौतिक संसाधनों के समान वितरण से जुड़ा है और साथ ही यह ऐसे प्रजातंत्रवाद से जुड़ा है जिसमें सब लोगों की भागीदारी हो।








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