2011-05-16 16:07:30

विश्वास के लिये स्थानीय कला संगीत का उपयोग


रोम 16 मई, 2011(उकान) एक धर्मगुरु और धर्मविधि के जानकार के रूप में मेरा दृढ़ विश्वास है कि आधुनिक संचार माध्यमों को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते पर उन्हें हम धर्म और संस्कृति में समाहित कर सकते हैं।

उक्त बातें शिलौंग के सलेशियन महाधर्माध्यक्ष दोमनिक जाला ने उस समय कहीं जब उन्होंने अपने रोम प्रवास के दौरान उकान समाचार को एक साक्षात्कार दिया।

विदित हो कि महाधर्माध्यक्ष " अद लिमिना विजिट " अर्थात संत पापा के साथ धर्माध्यक्षों की व्यक्तिगत पंचवर्षीय मुलाकात के सिलसिले में रोम आये हुए हैं। शिलोंग के आदिवासी धर्माध्यक्ष जाला ने हाकि ईश्वर ने भी अपने लोगों से बातचीतकरन के लिये विभिन्न माध्यमों का प्रयोग किया।

उन्होंने नबियों और धार्मिक नेताओं को चुना विभिन्न चिह्नों और चमत्कारों और प्राकृतिक संकेतों के द्वारा लोगों से अपना रिश्ता बनाया। येसु ने भी शब्द और संकेतों से लोगों को शिक्षा दी।

आज हमें भी एक चुनौती है कि उपलब्ध संचार के साधनों का प्रयोग कर हमें येसु के कार्य को आगे बढ़ायें।

60 वर्षीय महाधर्माध्यक्ष ने बताया कि शिलौंग में उन्होंने समर्पित काथलिक मीडिया कर्मियों की सहायता से पारिवारिक मूल्यों नशीली दवाओं के व्यसन से मुक्ति और न्याय जैसे विषयों पर वृतचित्र बनाये जिससे लोग लाभान्वित हुए हैं।

उन्होंने बताया कि संत पीटर और पौल के जुबिली वर्ष के अवसर पर एक डोक्यूमेंटरी बनायी गयी थी जिसे स्थानीय टेलेविज़न चैनल से भी प्रसारित किया है जिसे अन्तरकलीसियाई सराहना भी मिली।

महाधर्माध्यक्ष ने आशा व्यक्त की है कि शिलौंग में मिशनरियों की परंपरा को बरकरार रखते हुए वे स्थानीय आदिवासी संगीत परंपरा प्रभावकारी तरीके से हो पायेगा।

मेघालय की राजधानी शिलौंग में 11 वर्ष से कार्यरत खासी आदिवासी महाधर्माध्यक्ष जाला ने कहा कि वे चाहते हैं कि भारत तथा पश्चिम की अन्य संस्कृतियों से भी अच्छाइयों को ग्रहण करें और अपनी स्थानीय संस्कृति को समृद्ध करें।

उनका स्वप्न है कि आज की नयी पीढ़ी संगीत द्वारा अपनी आध्यात्मिक सम्पन्नता को अन्यों के साथ बाँट सकें।

















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