वाटिकन सिटी, 9 मई, 2011(ज़ेनित) " आज की ख्रीस्तीयता को जिस बात का खतरा है वह है, इसके
अनुयायिओं का इसकी सत्यता और इसके तथ्य़ों से दूर होना, इसका महत्त्व सिर्फ़ सामाजिक
और सांस्कृतिक बन कर रह जाना तथा इसके द्वारा मानव जीवन के सिर्फ़ सतहों को छूना।"
उक्त बातें संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने उस समय कहीं जब उन्होंने शनिवार 7 मई को
उत्तरी-पूर्वी इटली के वेनिस और अक्विलेइया में आयोजित यूखरिस्तीय बलिदान में प्रवचन
दिये। संत पापा ने कहा कि विश्वास सांस्कृतिक और सामाजिक परंपरा मात्र नहीं है।
वेनिस में आयोजिक मिस्सा में 3 लाख लोगों ने हिस्सा लिया। विदित हो कि इस मिस्सा समारोह
में इटली के अलावा जर्मनी, क्रोएशिया, स्लोवेनिया और ऑस्ट्रिया के लोगों ने भी इसमें
हिस्सा लिया। संत पापा ने कहा कि " आप जिस संदर्भ में जीते हैं वहाँ का विश्वास
ख्रीस्तीय विश्वास है जो विभिन्न कठिनाइयों, चुनौतियों और अत्याचारों के बावजूद वर्षों
से यहाँ जीवित है।" उन्होंने कहा कि " अगर आज क्रूसित और पुनर्जीवित येसु पर विश्वास,
हमारे जीवन के पथ को आलोकित नहीं करता है तो ऐसा विश्वास काफी नहीं है। उन्होंने कहा
कि आज यहाँ के लोगों की जो स्थिति है वह एम्माउस के चेलों की स्थिति से मिलती-जुलती है।"
लोग आज निराश और हताश नज़र आते हैं और येरूसालेम में क्रूसित और जी उठे येसु की शक्ति
और उपस्थिति पर विश्वास नहीं करते हैं। आज हमारे सामने जो चुनौतियाँ, बुराइयाँ, दुःख,
दर्द, अन्याय, अत्याचार, भय और दूसरों के हमारी भूमि में पहुँचने से जो आतंक है हमें
यह कहने को मजबूर कर देते हैं कि ‘हमने सोचा था कि ईश्वर हमें पापा बुराई दुःख डर और
अन्याय से मुक्त करेंगे पर ऐसा नहीं हुआ। " संत पापा ने कहा कि " आज ज़रूरत है ईशवचन
के द्वारा मसीहा को पुनः पहचानने की। आज ज़रूरत है ‘शरीर और रक्त’ के संस्कार में येसु
को देख पाने की जो हमारे विश्वास की आँखों को तेज कर देता हैं ताकि हम सबकुछ को ईश्वर
की आँखों और प्रेम के आलोक में देख सकें। " उन्होंने कहा "आप पवित्र बनिये, येसु
को जीवन का केन्द्र बनाइये और उसी के आधार पर अपने जीवन का निर्माण कीजिये। आप येसु में
ही सच्ची शक्ति का अनुभव करेंगे ताकि आप येसु के समान ही पूरी मानवता के लिये एक वरदान
सिद्ध हो सकें।"