2011-05-09 14:56:32

धन्य यूफ्रासिया केरल की दूसरी संत बनने के करीब


केरल, 9 मई, 2011 (उकान) केरल की धन्य यूफ्रासिया सभवतः जल्द ही संत घोषित कर दी जायेगी। वाटिकन ने भारत की कलीसिया से यूफ्रासिया की आधिकारिक जीवनी भेजने का निर्दश दिया है।
विदित हो कि पिछले साल इरीनजलाकुदा धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष ने संत पापा को उन दस्तावेज़ों को सौपें थे जिसमें धन्य यूफ्रासिया के मध्यस्थता से एक छः वर्षीय लड़के की ‘थैरोग्लोसल सिस्ट’ की बीमारी से चंगाई प्राप्त हुई थी।
रोमन कूरिया के संत प्रकरण के लिये बनी परिषद् ने स्थानीय कलीसिया को यूफ्रासिया की ‘पोसित्सियो’ अर्थात् ‘आधिकारिक जीवनी’ तैयार करने के निर्देश पहले ही दे दिये थे।
संत घोषणा प्रक्रिया की अधिकारिणी ‘वाइस पोस्तुलातोर’ सिस्टर क्लेओपात्रा के अनुसार ओल्लूर की यूफ्रासिया की मध्यस्थता से हुई चंगाई को को करीब तीन साल में वाटिकन से मान्यता मिल गयी है जो अन्य संत उम्मीदवारों के समय से कम है।
इसी सिलसिले में भारत में वाटिकन के प्रेरितिक राजदूत महाधर्माध्यक्ष साल्वातोरे पेन्नक्कियो 21 मई को थ्रिसूर के ओल्लूर की यात्रा करेंगे।
उन्होंने बताया कि अगर धन्य यूफ्रासिया को संत बनाये जाने की पूर्ण मंजूरी मिल जाती है तो यह एक ऐसा दुर्लभ अवसर होगा जब धन्य घोषणा के तुरन्त बाद किसी को अति शीघ्र संत बनाया जायेगा।
3 दिसंबर सन् 2009 ईस्वी को वन्दनीय यूफ्रासिया की मध्यस्थता से सरकोमा नामक बीमारी से पीड़ित 55 वर्षीय एक व्यक्ति चंगाई पर उन्हें धन्य घोषित किया गया था।
‘प्रेयिंग मदर’ अर्थात् प्रार्थना करने वाली माता के रूप में विख्यात् यूफ्रासिया का जन्म थिस्सुर जिले के एदाथुरुथी में एलावथुंगल अंथोनी तथ कुनजेत्ती के परिवार मे सन् 1877 ईस्वी में हुआ था।
उन्होंने मदर ऑफ कार्मल धर्मसमाज में प्रवेश किया और सन् 1900 में सिस्टर बनी और अपना अधिकतर समय जीवन ओल्लुर के संत मेरी कॉन्वेंट में अपना समय बिताया।
सिस्टर यूफ्रासिया के संत बनने से वे केरल की दूसरी संत बन होंगी। विदित हो संत अल्फोंसा को दो वर्ष पहले संत घोषित किया जा चुका है।









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