2011-04-28 18:13:37

ईसाई शिक्षण संस्थानों पर तीन दिवसीय सम्मेलन का आयोजन शिमला में


(शिमला 28 अप्रैल सीबीसीआई) " ईसाई शिक्षण संस्थाएँ- आधुनिक लोकतांत्रिक भारत के निर्माण में " विषय पर शिमला में आयोजित तीन दिवसीय सेमिनार में इस तथ्य पर विशेष जोर दिया गया कि मूल्य आधारित शिक्षा को प्रोत्साहन दिया जाये ताकि भारत में राष्ट्र निर्माण तथा आधुनिक, धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक समाज के निर्माण प्रक्रिया को मदद मिल सके।
गुवाहाटी के महाधर्माध्यक्ष थोमस मेनाम्परमबिल ने मुख्य भाषण में आगाह दिया कि यदि जीवन मूल्यों से ध्यान हटाया गया तो इससे दिगभ्रमित और बेरोजगार युवा बनेंगे तथा देश के सामने बड़ी कठिनाईयाँ आयेंगी इनमें से कुछ समस्याओं को अनुभव किया जा रहा है। उन्होंने नैतिक जिम्मेदारी की जरूरत तथा दूसरे व्यक्ति को कदापि साधन जैसा प्रयोग नहीं करने पर बल देते हुए कहा कि सामान्य हित तथा व्यापक नैतिक नियमों को मजबूती प्रदान करने की ओर सामूहिक जिम्मेदारी लेने हेतु तत्परता की भावना में कमी है। इसलिए इसमें आश्चर्य नहीं कि हिंसा, फरेब, अन्याय और अनैतिकता की स्थिति बदतर होती जा रही है।
आईआईएएस के भूतपूर्व निदेशक तथा उत्तर पूर्वी हिल यूनिवर्सिटी के भूतपूर्व वाइस चांसलर प्रोफेसर मृणाल मिरि ने उदघाटन भाषण में कहा कि आज शिक्षाशास्त्रियों को अतीत की सफलताओं और असफलताओं से सीखते हुए प्रस्तुत अवसरों को देखते हुए अनेक चुनौतियों का सामना करना है। उन्होंने आगाह किया कि लोकतांत्रिक और विविधतापूर्ण समाज में धार्मिक समूहों के मंतव्यों पर भी सवाल उठाये जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण के लिए अनूठे योगदान के लिए कोई धर्म विशेष दावा नहीं कर सकता है। प्रोफेसर मिरि ने लोभ से संचालित बाजार की ताकतों पर भी सवाल करते हुए शिक्षाशास्त्रियों का आह्वान किया कि वे समाज के हाशिये पर रहनेवाले समूहों, जनजातीय समुदायों में भी प्रतिभाओं की पहचान कर उन्हें प्रोत्साहन दें जिनकी अपनी संस्कृति तथा अपना देशज धर्म है।
तीन दिवसीय सेमिनार का आयोजन आईआईएएस ,असम डोन बोस्को यूनिवर्सिटी तथा सोनादा सिलिगुडी स्थित सलेशियन कालेज द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है जिसमें देश के लगभग 50 शिक्षाविद् भाग ले रहे हैं। आधुनिक भारत के निर्माण में ईसाई शिक्षण संस्थानों से जुडे मुद्दों और उनकी भूमिका पर 28 शोध पत्र प्रस्तुत किये जा रहे हैं।








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