स्वर्ग की रानी आनन्द मना प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें
द्वारा दिया गया संदेश
श्रोताओ संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें पुण्य सप्ताह तथा पास्का महोत्सव के समारोही कार्यक्रमों
की अध्यक्षता करने के बाद पास्का रविवार की संध्या रोम परिसर स्थित कास्तेल गोंदोल्फो
के प्रेरितिक प्रासाद पहुँचे। उन्होंने सोमवार 25 अप्रैल को स्वर्ग की रानी आनन्द मना
प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व प्रेरितिक प्रासाद के भीतरी प्रांगण में देश विदेश से
आये तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को इताली भाषा में सम्बोधित करते हुए कहा-
अतिप्रिय
भाईयो और बहनो,
प्रभु सचमुच जी उठे हैं अल्लेलूइया। प्रभु का पुनरूत्थान हमारी
मानवीय परिस्थिति के नवीनीकरण को चिह्नित करता है। हमारे पापों द्वारा लायी गयी मृत्यु
पर ख्रीस्त ने विजय पा लिया है तथा हमें अनन्त जीवन की ओर वापस ले चलते हैं। यह घटना
कलीसिया के जीवन तथा ईसाईयों के अस्तित्व से आती है। आज सोमवार को हम पढ़ते हैं- आरम्भिक
कलीसिया का पहला मिशनरी भाषण। प्रेरित पेत्रुस घोषित करते हैं- ईश्वर ने इन्हीं ईसा
नामक मनुष्य को पुनर्जीवित किया है हम इस बात के साक्षी हैं। अब वह ईश्वर के दाहिने विराजमान
हैं। उन्हें प्रतिज्ञात आत्मा पिता से प्राप्त हुआ और उन्होंने उसे हम लोगों को प्रदान
किया, जैसा कि आप देख और सुन रहे हैं। पुनरूत्थान में विश्वास की एक प्रमुख विशेषता है
ईस्टर काल में ईसाईयों का एक दूसरे के साथ अभिवादन जो प्राचीन पूजनविधि गीत से उत्प्रेरित
है- ख्रीस्त जी उठे हैं वे सचमुच जी उठे हैं। यह विश्वास की घोषणा तथा जीवन का समर्पण
है जैसा कि संत मत्ती रचित सुसमाचार में महिलाओं के बारे में वर्णन किया गया है- और देखो
ईसा एकाएक मार्ग में स्त्रियों के सामने आकर खड़े हो गये और उन्हें नमस्कार किया। वे
आगे बढ़ आयीं और उन्हें दण्डवत् कर उनके चरणों से लिपट गयीं. ईसा ने उनसे कहा- डरो नहीं,
जाओ और मेरे भाइयों को यह संदेश दो कि वे गलीलिया जायें। वहाँ वे मेरे दर्शन करेंगे।
प्रभु सेवक संत पापा पौल षष्टम लिखते हैं- सम्पूर्ण कलीसिया को सुसमाचार प्रचार
करने का मिशन मिला है तथा प्रत्येक जन का काम सबके लिए महत्वपूर्ण है। यह येसु की उपस्थिति,
उनके प्रस्थान तथा रहने का नया चमकदार तथा अस्पष्ट चिह्न है. यह अस्तित्व और विस्तार
जारी रहता है।
हम प्रभु से कैसे मिल सकते हैं और उनके सर्वाधिक यथार्थ साक्षी
बन सकते हैं ? तुरीन के संत मक्सीमुस कहते हैं- जो कोई मुक्तिदाता तक पहुँचना चाहता
है सबसे पहले उसे अपने विश्वास को ईश्वर के दाहिने हाथ के पास तथा हृदय की दृढ़ता के
साथ स्वर्ग में रखना है। अर्थात् मन और दिल को ईश्वर की ऊँचाई जहाँ ख्रीस्त जी उठे हैं
उसे सतत देखने के लिए कहना सीखे। प्रार्थना, आराधना में ईश्वर मानव से मिलते हैं। ईशशास्त्री
रोमानो गुआरदिनी के अनुसार आराधना ऐसा कुछ नहीं है जो संयोगवश हो, द्वितीयक नहीं है लेकिन
यह सुरूचि, महत्वपूर्ण तथा अस्तित्व में होने का भाव है। आराधना में ही मानव पहचानता
है कि वास्तव में क्या शुद्ध, सरल तथा पवित्र है। यदि हम ईश्वर की ओर मुड़ते हैं, प्रार्थना
करते हैं हम अपने जीवन के गहनतम अर्थ को पा सकते हैं और हमारी दैनिक यात्रा पुर्नजीवित
प्रभु के प्रकाश से आलोकित होती है।
प्रिय मित्रों, पूर्व और पश्चिम में आज कलीसिया
सुसमाचार लेखक संत मरकुस का पर्व मना रही है, ज्ञानी उदघोषक और ख्रीस्त के शब्दों तथा
धर्मशिक्षा के लेखक जैसा कि प्राचीन काल में कहा जाता था। वे वेनिस शहर के संरक्षक संत
भी हैं। ईश्वर ने चाहा तो मैं 7 और 8 मई को वेनिस शहर की प्रेरितिक भेंट करूँगा।
अब
हम कुँवारी माता मरिया का आह्वान करें कि पुर्नजीवित प्रभु द्वारा हमें से प्रत्येक जन
को सौंपी गयी खुशी और मिशन को निष्ठापूर्वक पूरा करने में वे हमारी सहायता करें।
इतना
कहने के बाद संत पापा ने स्वर्ग की रानी आनन्द मना प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना
प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।