2011-04-24 13:08:13

वाटिकन सिटीः पास्का महापर्व के उपलक्ष्य में रोम शहर एवं विश्व के नाम जारी सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का सन्देश


वाटिकन सिटी, 24 अप्रैल सन् 2011 (सेदोक):
"तेरे पुनःरुत्थान में, हे ख्रीस्त, स्वर्ग एवं पृथ्वी हर्ष मनाते हैं।" (पवित्र घड़ी के स्तुतिगान से)

रोम तथा सम्पूर्ण विश्व के अति प्रिय भाइयो एवं बहनो.

पास्का की सुबह हमारे लिये ऐसा समाचार लाती है जो प्राचीन होते हुए भी हरदम नया रहता है: ख्रीस्त जी उठे हैं! लगभग 20 शताब्दियों पूर्व, जैरूसालेम से, गूँजायमान इस घटना की प्रतिध्वनि, कलीसिया में अभी भी गूँजती रहती है, जो, खाली कब्र का पता लगाने वाले प्रथम साक्षी अर्थात् येसु की माता मरियम, मग्दलेना तथा उनके साथ उपस्थित अन्य नारियों और साथ ही पेत्रुस एवं अन्य प्रेरितों के सजीव विश्वास को, अपने वक्षःस्थल में धारण किये हुए है।

आज तक – सम्प्रेषण और संचार के परातकनीकी वाले हमारे युग में भी – ख्रीस्तीयों का विश्वास उसी उदघोषणा पर आधारित है, उन भाइयों एवं बहनों के साक्ष्य पर जिन्होंने पहले पत्थर को लुढ़का हुआ और कब्र को खाली पाया तथा बाद में उन रहस्यमय दूतों को देखा जिन्होंने गवाही दी कि क्रूसित येसु, जी उठे हैं। और फिर प्रभु एवं गुरु, येसु स्वयं जीवित एवं मूर्त रूप में मग्दला की मरियम एम्माऊस के दो शिष्यों और अन्त में अन्तिम भोजन कक्ष में एकत्र सभी 11 शिष्यों को दिखाई दिये (दे. मारकुस 16, 9-14)।

ख्रीस्त का पुनःरुत्थान अटकलों अथवा किसी रहस्यमय अनुभव का परिणाम नहीं हैः यह एक ऐसी घटना है जो निश्चित्त रूप से इतिहास के परे जाती है किन्तु इतिहास के एक विशिष्ट क्षण में घटती तथा अपनी एक अमिट छाप छोड़ देती है। येसु की कब्र पर पहरा देने के लिये तैनात संतरियों पर चमकनेवाले प्रकाश ने काल और स्थान को पार कर लिया। यह एक अलग तरह का प्रकाश है, ईश्वरीय प्रकाश, जिसने मौत के अँधेरे को हर लिया तथा इस विश्व में ईश्वर की, सत्य की तथा भलाई की महिमा को आलोकित किया।

जिस प्रकार वसन्त ऋतु में सूरज की किरणें पेड़ों की शाखाओं पर कलियों को प्रस्फुटित कर फूलों को खिला देती हैं उसी प्रकार ख्रीस्त के पुनःरुत्थान से निकलने वाला प्रकाश प्रत्येक मानवीय आशा, आकांक्षा, अपेक्षा एवं परियोजना को शक्ति एवं अर्थ प्रदान करता है। यही कारण है कि आज संपूर्ण ब्रह्मांड, मानवता की वसन्त ऋतु के साथ मिलकर हर्षित होता तथा सृष्टि के मूक प्रशंसागान को वाणी देता है। विश्व में अग्रसर तीर्थयात्री कलीसिया में गुँजायमान पास्काई आल्लेलूया सम्पूर्ण ब्रह्मांड के मौन उमंग को अभिव्यक्ति प्रदान करता है, तथा, विशेष रूप से, ईश्वर के प्रति ईमानदार और उनकी असीम अच्छाई, सौन्दर्य एवं सत्य के लिये आभारी हर मानव आत्मा के हर्ष को अभिव्यक्त करता है।

"तेरे पुनःरुत्थान में, हे ख्रीस्त, स्वर्ग एवं पृथ्वी हर्ष मनाते हैं।" आज कलीसिया के वक्षःस्थल से प्रस्फुटित प्रशंसागान के इस आमंत्रण का प्रत्युत्तर स्वर्ग पूरी तरह से देते हैं: स्वर्गदूत, सन्त एवं धन्य आत्माएँ, सर्वसम्मति से, हमारे आनन्द के गीत में शामिल होते हैं। स्वर्ग में सर्वत्र शांति और आनन्द है। किन्तु, दुर्भाग्यवश, पृथ्वी पर ऐसा नहीं है! यहाँ, हमारे इस विश्व में ईस्टर का आल्लेलूया, अभी भी, अनेक दर्दनाक परिस्थितियों से उठनेवाले रुदन एवं विलाप के विरुद्ध जाता हैः दरिद्रता, भूख, बीमारी, युद्ध और हिंसा। तथापि, यही वह कारण था जिसके लिये ख्रीस्त मरे और फिर जी उठे! वे मरे, हमारे आज के पापों के कारण भी तथा जी उठे, हमारे आज के इतिहास की मुक्ति के लिये भी। अस्तु, मेरा यह सन्देश सब तक, एक नबूबती उदघोषणा के सदृश, विशेष रूप से, उन सब लोगों एवं समुदायों के लिये है जो उत्पीड़न के काल से गुज़र रहे हैं, ताकि, पुनर्जीवित प्रभु ख्रीस्त उनके लिये स्वतंत्रता, न्याय और शांति के रास्ते खोल दें।"

फिर, सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने उत्तरी अप्रीका एवं मध्यपूर्व के संघर्षरत देशों के लोगों की याद करते हुए आगे कहाः "मेरी मंगलयाचना है कि वह भूमि, जो सर्वप्रथम पुनः जी उठनेवाले के प्रकाश से आलोकित हुई थी, आनन्द मनाये। ख्रीस्त के प्रकाश की चमक मध्यपूर्व के लोगों तक पहुंचे, ताकि शांति एवं मानवीय गरिमा की ज्योति विभाजन, घृणा एवं हिंसा के अँधकार को पराजित करे। लीबिया में, मौजूदा संघर्ष की स्थिति में, कूटनीति और बातचीत हथियारों की जगह ले तथा जो लोग इस संघर्ष के कारण उत्पीड़ित हैं उन्हें मानवतावादी राहत सहायता उपलब्ध हो सके। उत्तरी अफ्रीका एवं मध्यपूर्व के देशों में, सभी नागरिक और, विशेष रूप से, युवा लोग जनकल्याण को बढ़ावा दें तथा ऐसे समाज के निर्णाण हेतु कार्य करें जहाँ ग़रीबी पर विजय पाई जा सके तथा प्रत्येक राजनैतिक विकल्प मानव व्यक्ति के सम्मान से प्रेरित रहे। संघर्ष के कारण विस्थापित लोगों को सभी ओर से मदद मिले तथा उन शरणार्थियों को भी जो विभिन्न अफ्रीकी देशों से अपना सबकुछ छोड़कर पलायन करने के लिये मजबूर हैं; सदभावना से परिपूर्ण लोग अपने हृदय के द्वार खोलें तथा उनका स्वागत करें, ताकि एकात्मता के भाव में सहमति से दिया गया प्रत्युत्तर इन अनेक भाइयों एवं बहनों की अत्यावश्यकताओं को पूरा कर सके; तथा सान्तवना एवं सराहना के हमारे शब्द उन सब तक पहुँच सकें जो उदार प्रयासों में संलग्न रहकर इस दिशा में अनुकरणीय साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं।

मेरी मंगलयाचना है कि आयवरी कोस्ट के लोगों के बीच शांतिपूर्ण सहअस्तित्व की स्थापना हो, जहाँ पुनर्मिलन एवं क्षमा के मार्ग पर चलना नितान्त आवश्यक है ताकि हाल की हिंसा से बने गहरे घावों का उपचार किया जा सके। जापान में, सान्तवना एवं आशा का संचार हो, जो हाल के भूकम्प के नाटकीय परिणामों का सामना कर रहा है, साथ ही प्राकृतिक आपदाओं से उत्पन्न पीड़ा को सहनेवाले तथा कठिन परीक्षा से गुज़र रहे अन्य अनेक देशों में भी सान्तवना एवं आशा का संचार हो।

स्वर्ग तथा पृथ्वी उन लोगों के साक्ष्य पर हर्षित हो जो येसु ख्रीस्त में अपने विश्वास के कारण विरोधों एवं अत्याचारों को सहते हैं। येसु के विजयी पुनःरुत्थान की उदघोषणा उनके साहस एवं विश्वास को और गहरा करे।

प्रिय भाइयो और बहनो! पुनर्जीवित ख्रीस्त हमारे आगे आगे नये आकाश एवं नई पृथ्वी की ओर बढ़ रहे हैं (दे. प्रकाशना 21:1), जिसमें हम सब अन्ततः एक ही परिवार में, एक ही पिता की सन्तान के रूप में जियेंगे। वे समय के अन्त तक हमारे साथ हैं। आइये, इस घायल विश्व में, आल्लेलूया गाते हुए, हम उनके पीछे पीछे चलें। हमारे हृदयों में खुशी है और साथ ही गम भी, हमारे चेहरों पर मुस्कुराहट है और आँसू भी। ये है हमारी सांसारिक वास्तविकता। किन्तु ख्रीस्त जी उठे हैं, वे जीवित हैं और हमारे साथ चलते हैं। इस कारण हम, स्वर्ग पर अपनी दृष्टि लगाये निष्ठापूर्वक विश्व के प्रति अपने दायित्वों को पूरा करते हुए, हम गाते हैं और आगे बढ़ते हैं।
आप सबको ईस्टर मुबारक! "


इस तरह रोम शहर और विश्व के नाम अपना पास्का सन्देश समाप्त करने के बाद सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें 65 विभिन्न भाषाओं में पास्का की शुभकामनाएँ अर्पित कीः

इसके बाद उन्होंने सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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