2011-04-22 11:14:50

गुड फ्राइडे पर चिंतन


आज गुड फ्राइडे अर्थात् पुण्य शुक्रवार है। मानवजाति को पाप की जंजीरों और बुराई की दासता से मुक्त करने के लिए प्रभु येसु ख्रीस्त द्वारा कलवारी पर अर्पित आत्म बलिदान का स्मृति दिवस।

गुड फ्राइडे के दिन विश्व भर के ख्रीस्तानुयायी गिरजाघरों में आयोजित पूजनधर्मविधि समारोह में शामिल होकर प्रभु येसु की प्राणपीड़ा, गिरफ्तारी, दुःखभोग, मृत्यु और दफन का विशेष रूप से स्मरण करते हैं। इस दिन की पूजनधर्मविधि की विशेषताएँ हैं- पवित्र धर्मग्रंथ बाइबिल से येसु ख्रीस्त के दुःखभोग वृत्तांत का पाठ, कलीसिया और सम्पूर्ण विश्व के लिए विशेष प्रार्थनाएँ, पवित्र क्रूस की आराधना तथा अंत में पवित्र परमप्रसाद का वितरण। इसके बाद ख्रीस्तीय धर्मानुयायी गिरजाघर, पल्ली परिसर या विशाल मैदान में आयोजित क्रूस रास्ता या वे ओफ द क्रोस प्रार्थना के माध्यम से प्रभु येसु के कष्टों और पीडा़ओं पर मनन चिंतन करते हुए आत्मिक रूप से उनके दुःखभोग में शामिल होते हैं।


ईश्वर का प्रेम शर्त्तविहीन है। वे इंसान को हर परिस्थिति में प्यार करते हैं। उनके प्रेम को मापा नहीं जा सकता है। मानव के प्रति उनका असीम प्रेम पतित मानव को फिर एक बार मुक्ति दिलाने के लिए प्रकट हुआ। इस मुक्ति कार्य के पीछे ईश्वर की परम दयालुता, अपार क्षमाशीलता, अनन्य करूणा और अद्वितीय उदारता का रहस्य है। प्रभु येसु की मृत्यु और पुनरूत्थान ही मानव की मुक्ति का रहस्य है। क्रूस जो निकृष्टतम प्राणदंड का उपाय था, घोर अपमानजनक मृत्यु का प्रतीक था महापुरोहित प्रभु येसु के आत्म बलिदान द्वारा सम्पूर्ण मानवजाति के लिए ईश्वर के असीम प्रेम का मुक्तिदायी चिह्न बन गया। क्रूस रास्ता प्रार्थना का पाठ करते हुए ईसाई धर्मानुयायी पाप और बुराई के बंधन से मुक्त करनेवाले अनमोल वरदान के लिए ईश्वर के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं जिसे येसु ख्रीस्त ने कलवारी पर्वत पर, क्रूस के काठ पर अपने शरीर और रक्त की कीमत पर मानवजाति के लिए अर्जित किया।

पाप और बुराई के सामने इंसान बहुधा निराश और हताश हो जाता है। सुख सुविधाओं की दुनिया में जीवन जीनेवाला इंसान बहुत बार भोग विलास की माया मोह में फँसकर बहुत ही आरामपसंद निजी तथा स्वार्थी जीवन जीने लगता है। पद, पैसा और सामाजिक प्रतिष्ठा के बल पर ऐसा जीवन जीता है मानो यही उसका स्वर्ग है। वह अहंकारी और अविश्वासी बन बहुधा अनैतिक जीवन जीता है, निर्धनों और जरूरतमंदों के प्रति उदासीन हो जाता है। दूसरी ओर बहुत बार हम अपने जीवन से संतुष्ट नहीं रहते हैं और हमेशा हीन भावना से ग्रसित रहते हैं, दूसरों की प्रगति देखकर अंधानुकरण करने का प्रयत्न करते हैं- विद्वेष, नफरत और बदला लेने की भावना से भरे रहते हैं। जब हमें कोई व्यक्ति या कोई घटना द्वारा पाप और बुराई से छुटकारा पाने के लिए आमंत्रण मिलता है तो हम पहले तो अपने गुनाह स्वीकार ही नहीं करते हैं। क्रूस कहने और सुनने से ही हमारी आँखों के सामने हर प्रकार के कष्ट, पीड़ा तथा मृत्यु का दृश्य आता है और हम भयभीत हो सकते हैं, या फिर आत्मचिंतन करने के लिए उत्प्रेरित हो सकते हैं और क्रूसित प्रभु के बलिदान में हमें आशा, मुक्ति और प्रगति की किरण दिखाई देती है।

येसु के दुःखभोग, मृत्यु और पुनरूत्थान पर मनन चिंतन मसीही विश्वासियों को ख्रीस्तीय साक्ष्य देने के लिए न केवल और अधिक मजबूत करता है लेकिन अपने व्यक्तिगत जीवन में उन्हें अपना मुक्तिदाता मानने तथा पिता ईश्वर की इच्छानुसार जीवन जीने के लिए भी आशा और साहस प्रदान करता है।
हम भी अपने वर्तमान और भावी जीवन को देखते हुए गंभीरतापूर्पक विचार करें कि वैश्वीकरण के दौर में, घोर व्यक्तिवादी, भौतिकतावादी और उपभोक्तावादी संस्कृति के माहौल में हमें कौन कौन सी भौतिक बाधाओं, मानसिक बेड़ियों और भावनात्मक जंजीरों से मुक्त होने की जरूरत है, कौन कौन से तत्व ईश्वरीय योजना के अनुसार आंतरिक और बाह्य रूप से स्वतंत्र होकर पूर्ण जीवन जीने में हमारे सामने बाधक सिद्ध होते हैं। कम्पयूटर और इंटरनेट के युग में हमें किन किन प्रकार के बंधनों से मुक्त होने की जरूरत है। संचार क्रांति तथा तकनीकि विकास के इस दौर में हम मीडिया के संसाधनों का किस प्रकार सदुपयोग करें कि वह पारिवारिक और सामाजिक स्तर पर लोगों को न केवल बाह्य रूप से और अधिक एक दूसरे के समीप लाये बल्कि वास्तव में आंतरिक और आत्मिक रूप से समृद्ध करे।

गौर किया जाये कि ख्रीस्तीय जीवन का लक्ष्य यही है- हम मिटटी के पुतले, नाचीज तथा अपने पापों के कारण और ही नालायक जन, ख्रीस्त के साथ संयुक्त होकर स्वर्गिक पिता की योग्य संतान बन जाना चाहते हैं। हमारी इस चाह को पूर्णता देना ख्रीस्त के शरीरधारण तथा पास्का निर्गमन ने संभव बना दिया है। हम विश्वास द्वारा ख्रीस्त के साथ संयुक्त होकर इस चाह की पूर्णता में अपना सहयोग दें। क्रूसित येसु से निवेदन करें कि वे हमें अपना पवित्र आत्मा दे और ईश संतान के समान जीवन जीने की शक्ति से भर दें।

गुड फ्राइडे के दिन प्रभु येसु के क्रूस पर आत्मबलिदान का संदेश है- उनका मधुर प्रेम, कोमल करूणा और असीम क्षमाशीलता सबलोगों के लिए सदा सर्वदा बनी रहती है। इसलिए हम भी प्रभु येसु के प्रेम और सेवा करने के आदेश को दैनिक जीवन में लागू करें ताकि नफरत, हिंसा, संघर्ष और धार्मिक उत्पीड़न से मुक्त विश्व की रचना करने के लिए क्रूसित येसु के हाथ और पाँव बन सकें। निःस्वार्थ सेवा और महान प्रेम के इस पथ पर चलने के लिए गुड फ्राइडे अर्थात् पुण्य शुक्रवार हमें निमंत्रण दे रहा है।








All the contents on this site are copyrighted ©.