2011-04-18 13:34:04

समाज कार्यकर्त्ता डॉ. विनायक सेन को बेल दिया जाने का स्वागत


नयी दिल्ली, 18 अप्रैल, 2011( उकान) चर्च नेताओं तथा मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने समाज कार्यकर्त्ता विनायक सेन को बेल दिया जाने और राजद्रोह के आरोप से मुक्त करने के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत किया है।
सेन ने छत्तीसगढ़ के हाई कोर्ट में अपनी गिरफ्तारी के विरोध में 10 फरवरी को एक अपील की थी जिसे हाई कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विनायक सेन पर देशद्रोह का सिर्फ़ इस आधार पर लगाना कि उसके पास नक्सलवादी कागज़ाद है काफ़ी नहीं है न ही उसे नक्सलवादी करार दिया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारत के धर्माध्यक्षीय समिति के न्याय शांति और विकास के लिये बने आयोग के सचिव फादर चार्ल्स इरुदियम ने कहा कि " सुप्रीम कोर्ट का निर्णय मानवाधिकार के कार्यकर्त्ताओं के लिये सुखद समाचार है। "
उन्होंने कहा कि " यह भारतीय प्रजातांत्रिक प्रणाली की विजय है। " यद्यपि देर सेही सही पर यह दिखाता है कि प्रजातंत्र में सामाजिक मुद्दों मानवाधिकार न्याय और शांति के लिये कार्य करने वालों के लिये सम्मान है।" अब लोग उनके लिये कार्य करने से नहीं हिचकेंगे जो अन्याय झेल रहे हैं।"
स्वामी अग्निवेश ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि उच्चतम न्यायालय ने ग़रीबों के लिये कार्य करने और न्याय के लिये कार्य करने के मूलभूत अधिकारों की रक्षा की है चाहे हममें गाँधीवाद या माओवाद के प्रति सहानुभूति हो या न हो। "
उन्होंने जेल में बन्द डॉक्टर विनायक सेन को मानवता का प्रतीक मानवाधिकारों एवं मानव मर्यादा का प्रबल समर्थक बताया है। "
उन्होंने कहा कि अब इस बात की आशा की जा सकती है कि राज्य सरकार अब सेन पर लगे आरोपों पर पुनर्विचार करेंगे और उन्हें मुक्त कर देगी या बेल प्रदान करेगी। "
चर्च के नेता जोन दयाल ने कहा है कि वे विनायक सेन के छत्तीसगढ़ के कमजोर और हाशिये पर रखे गये लोगों विशेषकरके आदिवासियों के लिये किये जा रह प्रयासों की सराहना और समर्थन करते हैं।
विदित हो कि जोन दयाल ने सेन को जेल से मुक्त कराने और उनपर लगाये आरोपों से मुक्त कराने में आरंभ से जुटे हुए थे। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि डॉक्टर सेन को पूर्ण रूप से दोषमुक्त कर दिया जायेगा।












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