2011-04-11 20:05:01

अधिकारों की माँग की आदिवासियों ने


बांगला देश, 11 अप्रैल, 2011 (उकान) बांगला देश के आदिवासी ईसाइयों ने सरकार पर भेदभाव और जनजनातीय अधिकारों के हनन का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया और सरकार विरोधी नारे लगाये।
उकान समाचार के अनुसार 6 अप्रैल को गारो, खोच, बरमोन और राजबंशी आदिवादियों के एक दल ने मयमेनसिंग धर्मप्रांत के तंगाईल में एक विरोध रैली निकाली। इस रैली में 160 ईसाइयों ने भी हिस्सा लिया।
आदिवासियों ने सरकार से माँग की है कि वह बांगला देश के संविधान के तहत् उन्हें आदिवासी का दर्जा प्रदान करे न कि ‘जातीय अल्पसंख्यक’ का ।
विदित हो कि संविधान का पुनरीक्षण कर रही संसद की समिति ने अदिवासियों को " जातीय अल्पसंख्यक " के दर्जे में रखा है।
प्रदर्शन करने वालों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वे 40 हज़ार आदिवासियों के हक की माँग कर रहे हैं। आदिवासी दर्जा नहीं देने के कारण देश के साल पेड़ों की छाँव में जीने वाले भावल-मोधुपुर गढ़ के हज़ारों आदिवासियों का अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया है।
‘जोनसोंघी आदिवासी विकास कौंसिल’ के अध्यक्ष यूजीन नोकरेक ने कहा है कि " सरकार का आदिवासियों को " जातीय अल्पसंख्यक " कहना आदिवासियों के चेहरे पर सीधा थप्पड़ है और सन् 2007 में यूएन द्वारा घोषित आदिवासियों के अधिकारों का हनन भी। "
उन्होंने कहा " बांगला टेनेन्सी अधिनियम ने भी आदिवासियों को ‘देशज’ मानने को तैयार है पर सरकार इससे कतरा रही है। सन् 2007 का घोषणा पत्र आदिवासियों को आदिवासी का दर्जा देने की दिशा मे एक महत्त्वपूर्ण कदम था पर अब इसका भविष्य अधर में लटक गया है।"
नोकरेक ने कहा कि आदिवासी साल(सखुवा) वन क्षेत्र में तीन दशकों से निवास कर रहे हैं पर वन विभाग ने पैत्रिक भूमि रिकार्डों को निरस्त कर उसमें ‘पर्यावरण पार्क’ बनाने का निर्णय लिया है।
स्थानीय मीडिया ने इस बात का भी खुलासा किया है कि सरकार ने 5 साल में ही 8 हज़ार 1 सौ हेक्टर वनभूमि को अवैध रूप से प्रभावशाली व्यक्तियों को लीज(पट्टे) में दे दिया है।
मीडिया के अनुसार विगत् वर्षों में वन पर अवैध कब्जा करने वालों ने वनविभाग से साँठ-गाँठ कर कई आदिवासी नेताओं की हत्या भी कर दी। 36 वर्षीय गारो महिला शिशिलिया स्नाल ने बताया कि वनकर्मियों ने उनपर उस समय गोली चलायी थी जब वह जलावन की लकड़ी जमा कर रही थी।
उन्होंने कहा कि "वनकर्मी हमें मानव नहीं समझते और कई बार अमानवीय व्यवहार करते हैं।"















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