पंचवर्षीय पारम्परिक मुलाकात सम्पन्न कर चुके सीरो मलाबार चर्च के धर्माध्यक्षों के लिए
संत पापा का संदेश
(वाटिकन 7 अप्रैल सेदोक) काथलिक धर्माध्यक्ष, पाँच वर्ष में एक बार सार्वभौमिक कलीसिया
के परमाध्यक्ष के साथ मुलाकात कर स्थानीय कलीसियाओं के बारे में उन्हें जानकारी प्रदान
करते तथा भावी प्रेरितिक योजनाओं के लिये मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं। भारत में तीन
रीतियों की काथलिक कलीसियाएँ हैं- लैटिन रीति तथा पूर्वी रीति की सीरो मलाबार और सीरो
मलंकारा रीतियाँ। संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने पंचवर्षीय पारम्परिक मुलाकात सम्पन्न
कर चुके सीरो-मलाबार रीति के 34 धर्माध्यक्षों को वाटिकन में गुरूवार 7 अप्रैल को सामूहिक
रूप से सम्बोधित किया। उन्होंने स्वर्गीय कार्डिनल वर्की वित्याथिल के निधन पर दुःख प्रकट
करते हुए अनेक वर्षों तक भारत में कलीसिया के लिए अर्पित उनकी सेवा का स्मरण कर ईश्वर
को धन्यवाद दिया तथा उनकी आत्मा की अनन्त शांति की कामना की। धर्माध्यक्षों की ओर
से मान्यवार मार बोस्को पुत्तुर द्वारा कहे गये स्नेहपूर्ण अभिवादन के लिए धन्यवाद देते
हुए संत पापा ने कहा कि धर्माध्यक्षों की उपस्थिति सीरो मलाबार चर्च तथा सार्वभौमिक कलीसिया
के मध्य गहरे बंधन की अभिव्यक्ति है। प्रत्येक धर्माध्यक्ष अपने विशिष्ट चर्च तथा सार्वभौमिक
कलीसिया के अंदर एकता की प्रेरिताई के लिए बुलाया गया है। उन्होंने कहा कि इस जिम्मेदारी
का भारत जैसे देश में विशेष महत्व है जहाँ कलीसिया की एकता इसकी विभिन्न रीतियों और परम्पराओं
की समृद्ध विविधता में प्रतिबिम्बित होती है। वे इस एकता का प्रसार करने तथा पुरोहितों
और विश्वासियों के लिए जीवित अभिव्यक्ति बनने के लिए धर्माध्यक्षों को प्रोत्साहन देते
हैं। संत पापा ने कहा कि तेजी से बदलते विश्व में विवाह और पारिवारिक जीवन के सामने
विशेष और गंभीर चुनौतियाँ हैं तथा सुसमाचार के मुक्तिदायी सत्य की उदघोषणा करने एवं मानवीय
संबंधों को बेहतर बनाने की नवीन संभावनाएँ भी हैं। उन्होंने धर्माध्यओं को प्रोत्साहन
दिया कि वे धैर्य और संसक्ति के साथ अपने प्रवचनों और धर्मशिक्षाओं में युवाओं को शुद्धता
तथा जिम्मेदारी लेने के तरीकों में समग्र शिक्षा पाने के लिए सहायता करें ताकि वे विवाह
की सच्ची प्रकृति को स्वीकार करने में समर्थ हों और इससे भारतीय संस्कृति को भी लाभ मिलेगा।
संत पापा ने अनेक धर्मसमाजों द्वारा शिक्षा और परोपकार के क्षेत्र में विभिन्न संस्थानो
के माध्यम से ईश्वर और पड़ोसी की सेवा के लिए अर्पित कार्य़ों तथा धर्मसमाजियों की उदारता,
विश्वास और कठिन मेहनत की सराहना की। उन्होंने धर्मसमाजी जीवन की तैयारी के लिए कलीसिया
द्वारा दिये जानेवाले विशेष महत्व को देखते हुए कहा की प्रशिक्षण कभी पूरा नहीं है लेकिन
यह सतत प्रक्रिया है जो निजी और सामुदायिक जीवन में प्रतिदिन का अंतरंग भाग है। उन्होंने
धर्माध्यक्षों को प्रोत्साहन दिया कि प्रशिक्षण के लिए कलीसिया में उपलब्ध संसाधनों तथा
सीरो मलाबार रीति की विशिष्ट आध्यात्मिक और पूजनविधि परम्पराओं का उपयोग करते हुए बहुत
कुछ किया जाना है ताकि धर्मसमाजी सतत प्रशिक्षणों द्वारा इस दुनिया में ईश्वर की उपस्थिति
के सशक्त साक्षी बनें और उनके आत्म समर्पण द्वारा धर्मसमाजी जीवन का सौंदर्य पूरी तरह
चमके।