अजमेर, 2 अप्रैल, 2011 (उकान) अजमेर धर्मप्रांत की काथलिक महिलाओं ने मादा भ्रुण हत्या
के विरुद्ध में " युद्ध " छेड़ दिया है।
उकान समाचार के अनुसार राजस्थान में
बुधवार 31 मार्च को अजमेर में महिलाओं के लिये एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया जिसमें
कई सामाजिक बुराइयों के बारे में विचार-विमर्श किये गये।
इस सेमिनार में धर्मप्रांत
की 30 चुनी हुई महिला प्रतिनिधियों ने भाग लिया जिन्हें एच आई वी एड्स औऱ सूचना के अधिकार
के बारे में जानकारी तथा नारियों के अधिकारों के बारे में जागरुकता पैदा करने के प्रयास
किये गये।
इस अवसर पर उपस्थित अजमेर के महिला आयोग के क्षेत्रीय अध्यक्ष धर्माध्यक्ष
इग्नासियुस मेनेज़ेस ने कहा कि महिलाओं में जागरुकता लाना ज़रूरी हो गया है क्योंकि मादा
भ्रुण हत्या के कारण नारियों की संख्या कम होती जा रही है।
उन्होंने कहा कि
अब समय आ गया है कि हम इस समस्या के निदान के लिये अपना मुँह खोलें और मादा भ्रुण हत्या
के विरोध में आवाज़ प्रखर करें।"
उन्होंने 31 मार्च को भारत सरकार द्वारा प्रकाशित
जनगणना का हवाला देते हुए बताया कि देश में नर-नारी का औसत 1000 और 914 हो गया है जो
सन् 1947 ईस्वी में भारत की आज़ादी के बाद का नर-नारी का सबसे कम औसत है।
इसमें
राजस्थान उत्तरप्रदेश और महाराष्ट्र की स्थिति सबसे खराब है। उन्होंने बताया कि मादा
भ्रुण का गर्भपात करना या भ्रुण का गर्भपात करने के मक़सद से जन्म के पूर्व परीक्षण कराना
भारतीय दण्ड विधान के अनुसार अपराध है।
विदित हो कि कई भारतीय परिवार में दहेज
की समस्या से बचने के लिये कई माता - पिता मादा भ्रुण गर्भपात का सहारा लेते हैं।