2011-04-01 17:31:38

स्वर्गीय कार्डिनल वर्की वित्याथिल का संक्षिप्त परिचय


(एसएमसीआईएम 1 अप्रैल) केरल में सीरो मलाबार चर्च के मेजर आर्चविशप कार्डिनल वर्की वित्याथिल का एर्नाकुलम में पहली अप्रैल को एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वे 84 वर्ष के थे। मान्यवर वित्याथिल कुछ समय से हृदय संबंधी तकलीफों से पीडित थे और निजी अस्पताल में भर्ती किये गये थे। कार्डिनल वित्याथिल का जन्म 29 मई 1927 को नोर्थ परूर में हुआ था। उनकी स्कूली शिक्षा नोर्थ परूर और तिरूवनानतापुरम में तथा कालेज शिक्षा यूनिवर्सिटी कालेज तिरूवनानतापुरम और संत जोसेफ कालेज त्रिच्ची में हुई थी।
वर्की वित्याथिल रीडेमपटोरिस्ट धर्मसमाज में शामिल हुए और 12 जून 1954 को पुरोहित अभिषिक्त किये गये। वे 1955 में रोम स्थित संत थोमस अक्वीनस यूनिवर्सिटी में कलीसियाई विधान पढ़ने के लिए भेजे गये जहाँ से उन्होंने 1959 में डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। उनके शोध का विषय था- द ओरिजिन एंड प्रोग्रेश ओफ द सीरो मलाबार हायरारकी। रोम से वापस आने के बाद डा वर्की वित्याथिल ने बंगलोर स्थित रीडेमपटोरिस्ट मेजर सेमिनरी में 25 वर्षों तक कलीसियाई विधान का अध्यापन किया। उन्होंने सन 1972 में कर्नाटक विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में मास्टर की उपाधि प्राप्त की। इसके अतिरिक्त उन्होंने बंगलोर स्थित अन्य सेमिनरियों में विभिन्न विषयों को पढाया। वे सन 1978 से 84 तक रीडेम्पटोरिस्ट धर्मसमाज के प्रांतीय सुपीरियर तथा 1984 से 85 तक सीआरआई के अध्यक्ष भी रहे। संत पापा जोन पौल द्वितीय द्वारा नियुक्त किये जाने के बाद वे 1990 से 96 तक बंगलोर स्थित बेनेदिकतीन मठ के प्रेरितिक प्रशासक रहे।
कार्डिनल वित्याथिल 18 दिसम्बर 1996 को अंतिनोय के पदधारी धर्माध्यक्ष तथा सीरो मलाबार मेजर आरकीएपिस्कोपल चर्च और एर्नाकुलम आंगामल्ली महाधर्मप्रांत के प्रेरितिक प्रशासक मनोनीत किये गये। वे 6 जनवरी 1997 को रोम में संत पापा जोन पौल द्वितीय द्वारा धर्माध्यक्ष अभिषिक्त किये गये तथा 18 जनवरी 1997 से सीरो मलाबार मेजर आरकीएपिस्कोपल चर्च और एर्नाकुलम आंगामल्ली महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष रहे।








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