संत पापा ने फोस्से अरडियतिने के स्मारक का दौरा किया।
वाटिकन सिटी, 28 मार्च, 2011(ज़ेनित) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने रविवार 27 मार्च
को रोम शहर के बाहर अवस्थित फोस्से अरडियेतिने गये जहाँ सन् 1944 में नाज़ी सैनिकों द्वारा
मारे गये 335 इताली नागरिकों याद में स्मारक बनाया गया है। संत पापा ने इस हत्या
को " ईश्वर के विरुद्ध अपराध " कहा। ज्ञात हो कि सन् 1944 में इटली के पैट्रियोटिक ऐक्शन
ग्रूब के सदस्यों ने उस समय बम विस्फोट किया था जब जर्मन पुलिसों के एक दल रोम के भिया
रासेल्ला में मार्च किया जिसमें 33 जर्मनों की मृत्यु हो गयी थी। इसका बदला लेने
के लिये अडोल्फ हिटलर ने प्रत्येक मृत जर्मन के लिये 10 इतालवी नागरिक को मारने की आज्ञा
दी थी। हिटलर की आज्ञा का पालन करते हुए इतालवियों की हत्या कर दी गयी। मृतकों की
संख्या 335 हुई क्योंकि इस कार्य को हड़बड़ी में अंज़ाम दिया गया इसमें 75 यहूदियों के
अलावा जेल में बन्द इतालवी और आम नागरिक भी शामिल थे। संत पापा ने कहा कि " 24
मार्च, 1944 ईस्वी में जो कुछ हुआ वह ईश्वर के प्रति घोर अपराध है क्योंकि यह मानव का
मानव के विरुद्ध जानबूझकर की गयी हिंसा थी। उन्होंने कहा कि यह किसी भी युद्ध का सबसे
क्रूर प्रभाव है। ईश्वर तो जीवन है शांति और सद्भाव है। " संत पापा ने कहा कि "
मैं इस स्मारक के पास आया हूँ ताकि उन मृतकों को श्रद्धांजलि दे सकूँ, इसके साथ ही ईश्वर
से दया की याचना कर सकूँ ताकि वे उस मानवकृत खालीपन और घाव को भर सकें जिसे मनुष्य ने
हिंसा के आवेश में किया है। ऐसे कार्यों से मानव, ईश्वर के पुत्र और भाई होने की मर्यादा
को खो देता है।" उन्होंने कहा " मैं स्मारक में रोम के धर्माध्यक्ष के रूप में आया
हूँ ताकि उन भाइयों को सम्मान दे सकें जिनकी हत्या 67 साल पहले कर दी गयी।" इस
अवसर पर संत पापा ने एक छोटे से पत्र को पढ़ा जिसे उन व्यक्तियों में से एक ने लिखा
था जिसकी हत्या कर दी गयी। उन्होंने लिखा था " हे महान् ईश्वर हम प्रार्थना करते हैं
कि यहूदियों को क्रूर प्रताड़नाओं से बचाना।" 1 बार हे पिता हमारे, 10 प्रणाम मरिया और
एक पवित्र तृत्व की महिमा। आमेन।" संत पापा ने उस व्यक्ति की तारीफ़ करते हुए कहा
कि विपरीत परिस्थितियों के बावजूद उस दुःखद और अमानुषिक क्षण में उस व्यक्ति ने ईश्वर
को सबों का पिता कहा। इसी पिता के नाम में हमारी आशा है एक नयी सुबह की संभावना है
जब रोम, इटली यूरोप और पूरी दुनिया घृणा और बदले की भावना से मुक्त होगा और जहाँ स्वतंत्रता
और भ्रातृत्व होगी। उन्होंने कहा कि ऐसी भूमि से जहाँ भयंकर बुराई से उत्पन्न दुःखद
याद जुड़ी हुई है हमारा दायित्व है हम एक-दूसरे के हाथ को पकड़ कर कहें हे हमारे पिता
हम तुझपर भरोसा रखते हैं हम तेरे प्रेम की ताकत पर आस्था रखते हुए पूरी दुनिया के साथ
शांति की प्राप्ति के लिये एक-साथ चलना चाहते हैं। विदित हो कि संत पापा तीसरे संत
पापा हैं जिन्होंने फोस्से अरडियेतिने का दौरा किया। उनके पहले संत पापा जोन पौल द्वितीय
21 मार्च सन् 1982 को और संत पापा पौल षष्टम् ने सन् 1965 में इस स्मारक का दौरा किया
था।