बुधवारीय- आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा का संदेश 23 मार्च, 2011
रोम, 9 मार्च, 2011(सेदोक, वीआर) बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें
ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न
भाषाओं में सम्बोधित किया।
उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा- मेरे अति प्रिय
भाइयो एवं बहनो, आज की धर्मशिक्षामाला में सतरहवीं शताब्दी के आरंभ के कपुचिन धर्मसमाजी
ब्रिनदीसी के संत लौरेंस के जीवन पर मनन-चिन्तन करें।
लौरेंस ने अपनी कुशाग्र
बुद्धि और प्रभावपूर्ण प्रवचनों से आत्माओं की मुक्ति के लिये प्रभावपूर्ण कार्य किये।
उनका जीवन काल एक ऐसा समय था जब लोगों के मन में विश्वास के संबंध में कई सवाल उठने लगे
थे।
संत लौरेंस ने अपनी बुद्धि और चातुर्य का उपयोग करते हुए की पवित्र धर्मग्रंथ
के आधार पर, आदि धर्माचार्यों द्वारा बनाये गये कलीसियाई नींव को स्पष्ट और मजबूत किया।
इतना ही नहीं, संत लौरेंस ने पूरे साहस के साथ पूरे यूरोप तथा अन्य देशों में
शांति और सद्भावना के लिये कार्य किये।
संत लौरेंस के समय की चुनौतियाँ आज की
चुनौतियों से मिलती-जुलती हैं। उस समय भी समाज हिंसा, नैतिक सापेक्षवाद और धार्मिक उदासीनता
के चंगुल में था।
ऐसे समय में नये तरीके से सुसमाचार प्रचार के लिये पूर्ण रूप
समर्पित, उत्साही और संत लौरेंस के समान साहसी प्रेरितों की आवश्यकता होती है ताकि सुसमाचार
का संदेश और प्रकाश लोगों के दिल की गहराई तक पहुँच सके।
प्रिय मित्रो, ब्रिनदीसी
के संत लौरेंस के समान ही उत्साही और समर्पित बनने के लिये आवश्यक है कि हम पवित्र धर्मग्रंथ
का अध्ययन करते हुए प्रभु येसु के प्रेम में बढ़ें दैनिक प्रार्थना के द्वारा ईश्वर के
साथ अपना संबंध सुदृढ़ करें ताकि हम इस बात को समझ सकें कि हर भलाई की उसकी शुरुआत और
समाप्ति का मालिक ईश्वर ही हैं।
इतना कह कर उन्होंने अपना संदेश समाप्त किया।
उन्होंने आयरलैंड, डेनमार्क, इंडोनेशिया, फिलिपीन्स, अमेरिका, इंगलैंड के कतेनियन
एसोसिएशन के सदस्यों, डेट्रोइट के सेंट ऐन्न और सेंट इब्स् के संयुक्त गायक दल के सदस्यों,
विद्यार्थियों, तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों एवं उनके परिवार के सब सदस्यों पर प्रभु
की कृपा और शांति का कामना करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।