वाटिकन सिटी, 21 मार्च, 2011(जेनित) " परमाणु उर्जा मानव के लिये शक्ति का अपरिमित श्रोत
है पर इससे होने वाले खतरों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है।"
उक्त बातें
वाटिकन प्रवक्ता जेस्विट फादर फेदेरिको लोमबारदी ने उस समय कहीं जब उन्होंने वाटिकन टेलेविज़न
के साप्ताहिक कार्यक्रम ‘ऑक्तावा दियेस’ में जापान में आये भूकम्प, सुनामी और परमाणु
संयत्र पर अपने विचार व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि " 11 मार्च को जापान में
आये भूकम्प के बाद जो तस्वीर उभर कर सामने आयी है उसने हमारे मन में हमारे कुछ प्रश्न
खड़े कर दिये हैं।"
जेस्विट फादर ने कहा कि " जापान में आये भूकम्प और सुनामी
ने एक ओर तो छः साल पूर्व भारतीय समुद्र तट पर आये सुनामी से मरे हज़ारों लोगों की याद
ताज़ा कर दी तो दूसरी लोगों को इस बात के लिये आमंत्रित किया है कि हम दुःख और शोक के
सागर में डूबे लोगों की मदद के लिये सामने आयें और प्रार्थना करें।"
जापान के
आधिकारियों ने बताया भूकम्प से 8,450 लोगों की मृत्यु 2,701 घायल और 12,931 लोगों के
लापता हैं।
फादर लोमबारदी ने कहा कि " सुनामी के बाद पूरे विश्व का ध्यान परमाणु
संयंत्र से होने वाले विनाश की ओर गया है।" शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय परमाणु उर्जा
एजेन्सी के अध्यक्ष यूकिया अमानो ने बताया कि परमाणु संयंत्र की समस्या " अत्यंत गंभीर
" है।
उन्होंने कहा कि भूकम्प और सुनामी से हो रहे रेडिएशन रिसाव के कारण कारखाने
में कई विस्फोट हुए और एहतियात के तौर पर करीब 2 लाख लोगों को उस क्षेत्र से खाली करा
दिया गया है।
वाटिकन प्रवक्ता ने कहा कि " जापानवासियों जिस तरह से भूकम्प का
सामना करने के लिये जो मजबूत घर बनाते हैं वह सराहनीय है। फिर भी इस बार जो भूकम्प आया
उससे जापान की तकनीकि प्रगति की खामियों को उज़ागर हुई हैं, यह इसलिये भी क्योंकि वे
इसके लिये तैयार नहीं थे।"
फादर लोमबारदी ने कहा कि " परमाणु शक्ति बहुत ही
शक्तिशाली प्राकृतिक श्रोत है जो मानव के सेवा के लिये है पर यदि इस पर ध्यान न किया
गया तो यह अनियंत्रित हो जाता है।
कारखानों की सुरक्षा और रेडिएशन पदार्थों की
रक्षा कभी भी स्वतंत्र नहीं छोड़ा जा सकता है। यह ज़रूरी है कि व्यक्ति तकनीकि शक्ति
के प्रयोग, खतरे और मानव जीवन पर इसके प्रभाव पर विचार करें।
फादर लोमबार्दी
ने कहा कि " आज इस परमाणु संयंत्र में कुछ लोग अपनी जान को खतरे में डाल कर लोगों को
बचाने का प्रसास कर हैं जैसा कि अमेरिका में ट्विन टावर के ध्वस्त होने पर अग्निशामक
दल 9/11 में किया था।"
"ऐसे समय में मदद के लिये सामने आना, यहाँ तक कि अपने
जान को खतरे में डाल कर दूसरों के जीवन को बचाने के लिये सामने आना ही अँधकार की सच्ची
ज्योति है।"
" पास्का के पथ " में येसु ने भी यही रास्ता अपनाया था