स्कूल में क्रूस टांगने संबंधी अदालत के फ़ैसले का स्वागत
वाटिकन सिटी, 19मार्च, 2011(ज़ेनित) वाटिकन प्रेस कार्यालय के निदेशक ने यूरोपीय मानवाधिकार
अदालत के उस निर्णय का स्वागत किया है जिसके तहत् इटली के सरकारी स्कूलों में क्रूस टाँगा
जा सकता है। वाटिकन के प्रवक्ता जेस्विट फादर फेदरिको लोमबारदी ने ‘पूरे संतोष के
साथ’ न्यायालय के निर्णय को ऐतिहासिक कहा है। विदित हो कि नवम्बर सन् 2009 में इटली
और अनेक गैर सरकारी संस्थाओं सहित 20 देशों ने अदालत के उस निर्णय का विरोध किया था कि
स्कूलों में क्रूस रखना मानवाधिकार का हनन होता। फादर लोमबारदी ने कहा कि अदालत के
निर्णय ने इस बात को मान्यता दी है कि " मनुष्य के अधिकार की संस्कृति यूरोपीय सभ्यता
के उस धार्मिक आधार का विरोध नहीं कर सकती है जिसके लिये ख्रीस्तीय धर्म ने महत्त्वपूर्ण
योगदान दिया है। " फादर लोमाबरदी ने ‘ प्रिंसिपल ऑफ सबसिडियरिटी ’ की भी तारीफ़ की। उन्होंने
कहा कि "अदालत ने प्रत्येक देश के उस अधिकार की रक्षा की है जिसके तहत् देश अपने सांस्कृतिक
इतिहास के धार्मिक चिह्नों और राष्ट्रीय पहचान के प्रदर्शन के लिये स्वतंत्र है।" वाटिकन
प्रवक्ता ने कहा कि यदि ऐसा नहीं हो तो धार्मिक स्वतंत्रता के नाम पर एक ऐसी प्रवृति
बढ़ेगी जो इसे सीमित करेगी या इसके प्रदर्शन पर ही रोक लगा देगी। और ऐसा होना तो स्वतंत्रता
का ही सीधा हनन है। " फादर लोमबार्दी ने कहा कि " अदालत के निर्णय से यूरोपीय देशों
में आत्मविश्वास बढ़ेगा क्यों कि यूरीप निवासियो का यह पक्का विश्वास है कि ईसाई मूल्यों
का प्रभाव न केवल उनके इतिहास में रहा है पर उनकी एकता कानून और स्वतंत्रता में भी।"
विदित हो कि न्यूयॉर्क के लॉ स्कूल के प्रोफेसर जोसेफ वेईलर ने अमेरिका बुलगारिया,
साइप्रस, ग्रीस, लिथुवानिया, मॉल्टा, सन मरीनो और द रसियन फाउँडेशन की सरकार की ओर से
क्रूस रखने के पक्ष में अदालत में अपील की थी। अदालत ने अपना निर्णय सुनाते हुए कहा
कि " क्रूस का अर्थ धार्मिक अर्थ से अधिक है। क्रूस पश्चिमी सभ्यता और प्रजातंत्र के
सिद्धांतों और मूल्यों का प्रतीक चिह्न है और इसी लिये स्कूलों में क्रूस रखा जाना उचित
है। "